धातू | कर्मणिरूप | प्रयोजकरूप |
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गद् | गद्यते | गदयति - ते |
अव + गाह् | अवगाह्यते | अवगाहयति - ते |
गुह् | गुह्यते | गुहयति - ते |
गुञ्ज् | गुञ्ज्यते | गुञ्जयति - ते |
सम् + गृ | संगीर्यते | संगीरयति - ते |
गृ | गीर्यते | गीरयति- ते |
ग्रन्थ् | ग्रथ्यते | ग्रथयति - ते |
गै-गाय् | गीयते | गापयति - ते |
नि + ग्रह् | निगृह्यते | निग्राहयति - ते |
अनु + ग्रह् | अनुगृह्यते | अनुग्राहयति - ते |
सम्् + ग्रह् | संगृह्यते | संग्राहयति - ते |
ग्रह् | गृह्यते | ग्राहयति - ते |
घुष् | घोष्यते | घोषयति - ते |
उद् + घुष् | उद्घोष्यते | उद्घोषयति - ते |
घृष् + घर्ष् | घर्ष्यते | घर्षयति - ते |
घ्रा-जिघ्र् | जिघ्र्यते | घ्रापयति - ते |
चल् | चल्यते | चलयति चालयति - ते |
आ + चर् | आचर्यते | आचारयति - ते |
आ + चम् | आचम्यते | आचामयति - ते |
आ + चक्ष् | आचक्ष्यते | आचक्षयति - ते |
चकास् | चकास्यते | चकासयति - ते |
सम् + आ + चर् | समाचारयति - ते | |
चर् | चर्यते | चारयति - ते |
चिन्त् | चिन्त्यते | चिन्तयति - ते |
वि + चिन्त् | विचिन्त्यते | विचिन्तयति - ते |
सम् + चि | सञ्चीयते | संचाययति संचापयति - ते |
वि + चि | विचीयते | विचाययति विचापयति - ते |
प्र + चि | प्रचीयते | प्रचाययति प्रचापयति - ते |
चि | चीयते | चाययति चापयति - ते |
चुर्-चोर् | चोर्यते | चोरयति - ते |
चूर्ण् | चूर्ण्यते | चूर्णयति - ते |
चेष्ट् | चेष्ट्यते | चेष्टयति - ते |
सम् + छिद् | सञ्छिद्यते | सञ्छेदयति - ते |
उद् + छिद् | उच्छिद्यते | उच्छेदयति - ते |
छिद् | छिद्यते | छेदयति - ते |
जन्-जाय् | जन्यते | जनयति - ते |
जल्प् | जल्प्यते | जल्पयति - ते |
जप् | जप्यते | जपयति जापयति - ते |
स्रोत - संस्कृतदीपिका
अंतिम सुधारित : 4/14/2020
धातुरूपे दिली आहेत
कर्मणि व प्रयोजकरुपे (तृ पु ए व....) - 2 धातुरूपे...
कर्मणि व प्रयोजकरुपे (तृ पु ए व....) - 5