विद् - विन्द् (६ उ. प.) आ.प. - मिळविणे
आ + दिश् (६ उ.प.) प.प. - सांगणे, आज्ञा करणे
आ + दिश् (६ उ.प.) आ.प.- सांगणे, आज्ञा करणे
हिंस् (७ प. प.) - ठार करणे
छिद् (७ उ.प.) प.प. - कापणे, तोडणे
छिद् (७ उ.प.) आ.प. - कापणे, तोडणे
रुध् (७ उ.प.) आ.प. - अडथळा करणे
रुध् (७ उ.प.) प.प. - अडथळा करणे
कृ (८ उ. प.) प. प. - करणे
कृ (८ उ. प.) आ. प. - करणे
तन् (८ उ.प.) प.प. - पसरविणे
तन् (८ उ.प.) आ.प. - पसरविणे
बन्ध् (९ प. प.) - बांधणे
ज्ञा (९ उ. प.) प. प. - जाणणे
ज्ञा (९ उ. प.) आ.प. - जाणणे
क्री (९ उ. प.) प.प. - विकत घेणे
क्री (९ उ. प.) आ.प. - विकत घेणे
ग्रह् (९ उ. प.) प.प. - विकत घेणे
ग्रह् (९ उ. प.) आ.प. - विकत घेणे
प्री (९ उ. प.) प.प. - प्रेम करणे, आनंदित होणे
प्री (९ उ. प.) आ.प. - प्रेम करणे, आनंदित होणे
चिन्त् (१० प.प.) - विचार करणे
तड् - ताड् (१० प.प.) मारणे
धृ - धार् (१० प.प.) धारण करणे
घुष् - घोष् (१० उ.प.) प.प. - घोषणा करणे
भूष् (१० उ.प.) प.प.- सुशोभित करणे
मान् (१० प.प.) - मान देणे
पाल् (१० प.प.) - पालन करणे
वच् (१० प.प.) - वाचणे, बोलणे
मन्त्र् (१० आ.प.) - सल्लामसलत करणे
मृग् (१० आ.प.) - शोधणे
कथ् (१० उ.प.) प.प.- सांगणे
स्त्रोत - संस्कृतदीपिका
अंतिम सुधारित : 8/7/2023
धातू कालार्थ रूपे
कर्मणि व प्रयोजकरुपे
कर्मणि व प्रयोजकरुपे (तृ. पु. ए. व.)- ९
कर्मणि व प्रयोजकरुपे उदाहरणे