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ऋण प्रबंध नीति

व्यवसाय विकास रणनीति एक विवेकपूर्ण ऋण प्रबंध निति पर धारित होगी। बाजार मांग के अनुरूप उत्पादों और प्रक्रियाओं में सुधार के साथ-साथ ऋण वितरण प्रक्रियाओं पर पर्याप्त नियंत्रण रखते हुए दोनों में संतुलन बनाये रखा जायेगा, ताकि विवेकपूर्ण निर्णय प्रक्रिया में कोई कमी न रहे।

उत्पाद प्रंबध

मंजूरी के लिए न्यूनतम वित्तीय मानक:

बैंक के विभिन्न उत्पादों के लिए लागू न्यूनतम वित्तीय मानक संलग्नक। में दिए गए हैं। मजूरी के न्यूनतम वित्तीय मानकों के प्रति छूट की अधिकतम सीमा भी निर्धारित की गई है। इसके अलावा, छूट के मानदंडों की अधिकतम सीमा के साथ अतिरिक्त जोखिम  प्रीमियम भी लगाया जायेगा। तथापि, निकास रणनीति के हिस्से के रूप में, चालू स्तर य कमतर स्तर पर मौजूदा नवीकरण के सम्बन्ध में, प्रत्यायोजित प्राधिकारी अतिरिक्त जोखिम प्रीमियम लगाए बिना मंजूरी के न्यूनतम वित्तीय मानकों में समुचित छूट दे सकता है, बशर्तें उचित जोखिम शामक स्थापित किये गये हों।

मंजूरी के न्यूनतम वित्तीय मानकों में छूट के अलावा, बैंक सामान्यतः उत्पादों के पात्रता मानदंडों में किसी प्रकार की छूट पर विचार नहीं करेगा।

उत्पाद विकास/नवोन्मेष के लिए सुगमता

ग्राहकों के व्यवसायगत जरूरतों को समझने और उनके सुगमतापूर्ण समाधान के लिए बैंक ने समुचित कार्यप्रणाली स्थापित की है। तदनुसार प्र.का. स्तर पर गठित उत्पाद नवोन्मेष एंव समीक्षा समिति उत्पादों सम्बन्धी नवोन्मेष और उनके परिक्षणाधीन विपणन पर विचार करती है और उनका अनुमोदन करती है। ऐसे परिक्षणाधीन विपणन के प्रस्तावों के लिए समुचित ऋण-जोखिम सीमा भी लगाई जा सकती है, जिसकी निगरानी शा.का./क्षे. का. करेंगे।

उत्पादों के अनुमोदन के अलावा, उत्पाद नवोन्मेष एवं समीक्षा समिति किसी ऐसे उद्यम-समूह में या किसी ऐसी बड़ी कम्पनी/मूल उपकरण विनिर्माता के आस-पास विशिष्ट व्यवस्थाओं की संरचना का अनुमोदन भी करेगी, जिससे कई अत्यंत लघु, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लाभान्वित होने की सम्भावना हो। ऐसी व्यवस्थाओं के लिए नियमित  ऋण उत्पादों से भिन्न अलग तरह की ऋण-वितरण व्यवस्था अपेक्षित हो सकती है।

आरंभ किये जाने के लिए प्रस्तावित नये ऋण उत्पादों अथवा मौजूदा उत्पादों/ऋण प्रक्रियाओं में बड़े परिवर्तनों पर जोखिम प्रबंध वर्टिकल द्वारा विधिवत हस्ताक्षर किये जायेंगे।

सामान्यतः जिन क्षेत्रों में सहजता से उत्पाद नवोन्मेष की आशा की जाती हैं वे सेवा क्षेत्र के अनेक उपक्षेत्र हैं, जैसे-संगठित खुदरा विक्रय, सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएँ, मनोरंजन, नकदी प्रवाह/किराया भुनाई, एमएसएमई क्षेत्र के लिए नकदी प्रवाह के प्रबंध से सम्बन्धित उत्पाद, उद्योग-समूहों के लिए विशिष्ट उत्पाद, आदि

सूक्ष्म एंव लघु उद्यम ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) की योजना में शामिल किया जाना।

पात्र अत्यंत लघु एवं लघु उद्यमों के उधारकर्त्ताओं को प्रदत्त 100 लाख रूपये तक की ऋण सुविधाएँ सामान्यतः सीजीटीएमएसई के योजना के अतर्गत शामिल की जाएँगी। यदि कोई पात्र प्रस्ताव सीजीटीएमएसई योजना के अधीन शामिल नहीं हो रहा है, तो मंजूरकर्त्ता प्राधिकारी को प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय, मूल्यांकन नोट मरण औचित्य दिया जाये (प्रस्तावित प्रतिभूति के सापेक्ष सीजीटीएमएसई की योजना के अंतर्गत उपलब्ध सुरक्षा का तुलनात्मक विवरण या यदि कोई अन्य कारण हो, तो उन्हें शामिल करते हुए।

सरकारी योजनाओं के साथ प्रति-विक्रय

जहाँ-कहीं संभव होगा, बैंक के उत्पादों का भारत सरकार और राज्य सरकारों की योजनाओं के साथ भी सामंजस्य किया जायेगा, ताकि सहायताप्राप्त परियोजनाओं की व्यवहार्यता और बैंक के समग्र आस्ति आधार में सुधार किया जा सके।

प्रक्रिया प्रंबध

शक्तियों का प्रत्यायोजन

बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं का प्रबंध करने के लिए प्रमुख साधन है- बैंक की ऋण समितियों और हरेक कार्य-अधिकारी को शक्तियों का प्रत्यायोजना इससे ऋण सम्बन्धी निर्णय प्रक्रियाओं  में परीक्षण एवं नियंत्रण की उपयुक्त प्रणाली भी स्थापित होती है। हलांकि, शक्तियों का प्रत्यायोजन मंजूरी के न्यूनतम वित्तीय मानकों की व्यापक रुपरेखा के दायरे में होंगे, जैसा कि ऋण नीति में नियत है।

मूल्यांकन प्रक्रिया

परियोजानाओं एंव अन्य सहायता के मूल्यांकन के लिए बैंक की मौजूदा मूल्यांकन प्रकिया का पालन किया जायेगा। वर्तमान में, मौजूदा लाभप्रद इकाइयों के 200 लाख रूपये तक के ऋण प्रस्तावों (जिसमें 500 लाख रूपये तक की कार्यशील पूंजी भी शामिल है) के श्रेणीनिर्धारण एवं मूल्यांकन के लिए बैंक में ऋण मूल्यांकन एवं श्रेणी-निर्धारण साधन (कार्ट) का उपयोग किया जा रहा है। इसके फलस्वरूप ऋण संबंधी  निर्णय प्रकिया का मानकीकरण हुआ है और ऋण प्रस्तावों के संसाधन में लगने वाले समय में महत्वपूर्ण रूप से कमी आई है। तदनुसार, सभी ऋण प्रस्ताव कार्ट में मूल्यांकित किये जायेंगे, चाहे सहायता की राशि कुछ भी हो। 200 लाख रूपये से अधिक की ऋण जोखिम सीमाओं और उन ऋणों का श्रेणी निर्धारण, जो कार्ट में श्रेणीनिर्धारण किये जाने के लिए पात्र नहीं है, जोखिम मूल्यांकन मॉडल (रैम) में किया जाता है। नकदी प्रवाह पर आधारित सावधि ऋण सहायता का मूल्यांकन सख्ती के साथ केवल विस्तृत मूल्यांकन ज्ञापन में रैम श्रेणीनिर्धारण के साथ किया जायेगा।

अर्थव्यवस्था में हाल की मंदी तथा वस्त्र, दवाओं और औषधियों, पैकेजिंग सामग्री, मूलभूत  ढांचा, सौर विद्युत् एवं बायोमास परियोजनाओं तथा लोहा और इस्पात जैसे क्षेत्रो में अपेक्षाकृत अधिक गैर-निष्पादक आस्तियों को देखते हुए बैंक इन क्षेत्रों के वित्तपोषण में बेहतर शमन उपायों के साथ सतर्क दृष्टिकोण अपनाएगा।

वाणिज्यिक स्थावर सम्पदा संबंधी परियोजनाओं (खासकर ऐसे प्रस्तावों की एमएसएमई से महत्वपूर्ण संबद्धता को देखते हुए के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। अर्थव्यवस्था की मंदी तथा ऐसी परियोजनाओं में निहित जोखिम देखते हुए सहायता का स्वरुप निर्धारित करते समय पर्याप्त सावधानी के साथ परियोजना/प्रस्ताव विशेष के स्तर पर जोखिम शमन के उपाय लागू किये जायेंगे।

संतोषजनक ऋण रिपोर्ट प्राप्त करने के बारे में विधिवत सावधानी बरतने/कर्तव्यपरायणता करने, दौरे करने, आपूर्तिकर्त्ताओं/ठेकेदारों, आदि के बारे में सम्यक सावधानी बरतने, उपभोक्ता/वाणिज्यिक ऋण सूचना रिपोर्टों के लिए सिबिल के आंकड़ा-आधार की जाँच करने, अपना ग्राहक जाने (केवाईसी) और धन-शुद्धि निरोधी मानक, भा.रि.बैंक/सिविल की चूककर्त्ता सूची व सावधानी सूचनाओं, मौजूदा की जाँच करने, संबंधगत/संयोजी उधार सम्बन्धी दिशानिर्देश, बहु-बैकिंग व्यवस्थाएं, मौजूदा ऋणदाताओं से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने, इत्यादि के बारे में बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों का, जहाँ-कहीं लागू होंगे, पालन किया जायेगा।

ऋणदाताओं के लिए उचित व्यवहार संहिता/अत्यंत लघु एंव लघु उद्यमों के प्रति प्रतिबद्धता संहिता:

भा.रि.बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंक ने ऋणदाताओं के लिए नियत की गई उचित व्यवहार संहिता अपनाई है और उसे बैंक की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया है। उक्त संहिता में ऋण आवेदनों के संसाधन, मूल्यांकन, संवितरण-पश्चात् पर्यवेक्षण, आदि के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किये गये हैं। संसाधन के लिए लगाये जाने वाले प्रभारों/शुल्कों से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी ऋण आवेदनपत्रों में अंकित की जाएगी। साथ ही, ग्राहक को उन सभी लागतों की जानकारी दी जाएगी, जो उसे सिडबी से वित्त लेने लिए वहन करनी होंगी। ऋणों के समय-पूर्व भुगतान की सुविधा उपलब्ध होगी और स्थिर ब्याजदर के अधीन रु०50 लाख तक के ऋणों के सम्बन्ध में समय पूर्व भुगतान के लिए कोई समय-पूर्व भुगतान ब्याज नहीं लिया जायेगा तथा स्थिर ब्याजदर के अधीन किसी भी राशि के ऋणों के सम्बन्ध में समय-पूर्व भुगतान के लिए कोई प्रभार नहीं लिया जायेगा। उचित व्यवहार संहिता से सम्बन्धित किसी विवाद से समाधान के लिए शिकायत निवारण क्रियाविधि भी बुनाई गई है। बैंक ने भारतीय बैंकिंग संहिता एवं मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई) की अत्यंत लघु एवं लघु उद्यमों के प्रति प्रतिबद्धता संहिता अपनाई है।

कम्पनी अधिनियम, 2013

नया कंपनी अधिनियम, 2013 (अधिनियम) अस्तिव में आ गया है और राजपत्र में आवश्यक अधिसूचनाएं जारी कर दी गई हैं। नैगम अभिशासन और नैगम सामाजिक दायित्व पर बढ़ते जोर को देखते हुए यह अधिनियम निगम जगत पर लागू होने वाले नियमों में बहुत से परिवर्तन लाया हैं। इस अधिनियम ने “एसोसियट कंपनी” जो (जो प्रंसगवश एक नई संकल्पना है) “एम्प्लॉयी  स्टॉक ऑप्शन” “प्रमोटर” “रिलेटेड पार्टी” “टर्नओवर” चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर” “चीफ फियानेंश्यल ऑफिसर” ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीट” आदि पदबंधों को परिभाषित किया है। अधिनियम में अल्पसंख्यक शेयरधारकों द्वारा वर्ग कार्रवाई वाद का प्रावधान है, ताकि गलती करनेवाली कम्पनियों के विरुद्ध सामूहिक रूप से कार्रवाई की जा सके। वित्तीय विवरणों में प्रकटन की अपेक्षाकाओं को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके और  निदेशकों के हितों का बेहतर प्रकटन हो सके। इसने निदेशकों, प्रवर्तकों से सम्बन्धित पक्षकारों के साथ लेन-देन के प्रकटन, तृतीय पक्ष देयताओं को सुरक्षित करने के लिए गारंटी/प्रतिभूति पर प्रतिबन्ध लगाने आदि से सम्बन्धित प्रक्रियाओं को भी सरल बनाया है। नए कंपनी अधिनियम 2013 के प्रावधानों को व्यवसायों के दौरान ध्यान में रखा जायेगा।

उद-भागों की व्यवसाय नीति (3-10)

 

स्रोत: भारतीय लघु, उद्योग विकास बैंक (सिडबी)

अंतिम सुधारित : 11/20/2023



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