देश में महिलाओं की स्थिति, विशेषकर समाज के वंचित वर्गों की महिलाओं की स्थिति, ठीक नहीं है। बालिका को भोजन, शिक्षा, स्वास्थय परिचर्या की उपलब्धता जैसे पारिवारिक संसाधनों के आवंटन में अपने जन्म से पूर्व में और बाद में भेद-भाव का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी कौमार्यवस्था में ही शीघ्र विवाह के लिए मजबूर होना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश महिलाएँ खाना पकाने, जल लेकर आने, बच्चों को स्कूल भेजने, खेतों में कम करने, पशुओं को चारा देने तथा गायों का दूध निकालने जैसे अल्प – परिमाप्य कार्यों के भर से दोहरे रूप में दबी हुई हैं जबकि पुरूष घर में उत्पादित दूध और अनाज बेचने जैसे परिभाषित कार्य करते हैं। अल्पसंख्यक नहीं हैं अपितु ‘दरकिनार की हुई बहुसंख्यक’ हैं तथा परिवार में निर्णय लेने के क्रम में अलग – थलग पड़ी हुई हैं और समुदाय कार्यो तथा सामाजिक संस्थानों से मिले लाभों के सामान हिस्से की पूर्णत: भागीदारी नहीं हैं।
महिलाओं को परस्पर सशक्त बनाना न केवल समानता के लिए आवश्यक है, अपितु यह निर्धनता में कमी लाने, आर्थिक विकास और नागरिक समाज को सुदृढ़ करने की हमारी लड़ाई में भी आवश्यक घटक है। गरीबी से बेहाल परिवारों में महिलाओं और बच्चों को सदैव ही सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उन्हें सहायता की जरूरत होती है। महिलाओं, विशेषकर माताओं को सशक्त बनाना अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि घर ही वह स्थान है जहाँ वे अपने बच्चों का पालन – पोषण करती हैं और उनका चरित्र – निर्माण करती हैं।
भारत में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट (जैसे सच्चर समिति रिपोर्ट के रूप में जाना जाता है) में इस तथ्य को उजागर किया गया था की भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह - मुस्लिम, जिनकी संख्या 13.83 करोड़ है, को विकास – पथ से अलग रखा गया है और इस समूह में मुस्लिम औरतें दोहरी वंचना की शिकार हैं।
इसी के मद्देनजर, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा वर्ष 2011-12 में योजना को पुन: तैयार किया गया है और इसे ‘अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व – क्षमता विकास का योजना का नया नाम दिया गया। इस योजना का कार्यान्वयन वर्ष 2012-13 में शुरू किया गया।
कार्यान्वयन के प्रथम वर्ष के अनुभव के आधार पर, योजना में विशिष्ट संशोधन लाने की जरूरत महसूस की गई ताकि लक्षित समूहों तक इसकी पहुँच सुनिश्चित की जा सके तथा आधारिक स्तर पर कार्यान्वयन हो सके और इसलिए 6 मार्च, 2013 को स्थायी वित्त समिति द्वारा मूल्यांकन किया गया। उनकी सिफारिशों के अनुरूप, योजना को बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रखे जाने के लिए उसमें निम्नानुसार संशोधन किए गए हैं:
लक्षित समूहों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (ग) के तहत सभी अधिसूचित अल्पसंख्यकों अर्थात मुस्लिमों, सिक्खों, बौद्धों, ईसाईयों और परिसियों से संबंधित महिलाएं शामिल हैं। तथापि, समाज के बहुलता के स्वरुप को और सुदृढ़ता प्रदान करने तथा अपने भाग्य को संवारने के स्वयं के प्रयासों में समैक्य और एकता लाने की दृष्टि से, योजना में परियोजना प्रस्ताव के अधिकतम 25% तक मिश्रित रूप से गैर-अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं को भी शामिल किए जा जाने की अनुमति है। संगठन द्वारा यह प्रयास किए जाने चाहिए कि इस 25% के समूह में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़े वर्ग की महिलाओं, विकलांग महिलाओं और अन्य समुदाय की महिलाओं का मिश्रित प्रतिनिधित्व हो।
पंचायती राज्य संस्थाओं के अंतर्गत किसी भी समुदाय की चुनी गई महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) को प्रशिक्षु के रूप में शामिल होने के लिए राजी करने के प्रयास किए जाएंगे।
इस योजना का उद्देश्य सभी स्तर पर सरकारी प्रणालियों, बैंकों और और अन्य संस्थानों के साथ कार्य व्यवहार करने हेतु जानकारी, साधन तथा तकनीकें मुहैया कराकर अल्पसंख्यक महिलाओं सहित उसी गाँव/मुहल्ले में रहने वाली अन्य समुदाय की उनकी पड़ोसियों को सशक्त बनाना और उनमें विश्वास जगाना है।
अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं को अपने घरों तथा समुदाय की सीमाओं से बाहर निकलने तथा अपने जीवन और रहन-सहन की दशाओं में सुधार लाने के लिए सरकार के विकास लाभों के अपने मिलने वाले हिस्से का दावा करने सहित सेवाओं, सुविधाओं, कौशलों और अवसरों तक पहुँच बनाने में सामूहिक अथवा व्यक्तिगत रूप में नेतृत्व भूमिकाओं का उत्तरदायित्व लेने के लिए सशक्त तथा साहसी बनाना।
इस योजना के तहत परिकल्पित पोषक/हैण्डहोल्डिंग सेवाएँ, जो हिमायत से भी जुड़ी है, एक क्षेत्र गहन कार्य है। इसके लिए यह आवश्यक है की सुविधा प्रदाता लक्षित समूह के द्वारा पर सुविधाएँ उपलब्ध कराने के कार्य में निरंतर लगे रहें। योजना को कार्यान्वित करने वाले संगठन के कार्मिकों को समय-समय पर गांवों/क्षेत्रों का दौरा कराना आवश्यक होगा ताकि नेतृत्व से जुडा प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिला वर्ग को पोशाक/हैण्ड/होल्डिंग सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सके और इस प्रकार उन महिलाओं को सिखाई गई तकनीकों और यंत्रों के इस्तेमाल की जानकारी दी जा सके और वे अपने प्रयासों से लाभ प्राप्त कर सकें। इस तरह के क्षेत्र गहन कार्य उच्च रूप से प्रेरित और समर्पित समुदाय आधारित संगठनों के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं। महिलाओं की कार्य प्रकृति घर के अंदर रहने की होने के कारण यह महत्वपूर्ण है की योजना को कार्यान्वित कर रहे संगठन के पास महिलाओं के पास गांवों/क्षेत्रों में जाकर प्रशिक्षण संचालित करने के लियन कार्मिक, संसाधन और अनुभव हो।
संगठन के पास मान्यता प्राप्त सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों में अथवा अपने स्वयं के सुविधा-केन्द्रों में आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के लिए संसाधन और पूर्व अनुभव होना चाहिए। इसलिए, यह आवश्यक है कि जिन संगठनों की पहुँच ग्रामीण इलाकों तक हो तथा प्रेरणा और समर्पण भाव से युक्त हों और गांवों/ क्षेत्रों में ऐसा प्रशिक्षण संचालित करने के लिए जनशक्ति और संसाधन हो तथा जो मान्यताप्राप्त सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों में आवासीय प्रशिक्षण पाठयक्रमों की व्यवस्था भी आकर सकते हों, वे इस योजना के कार्यान्वयन में भाग लेने हेतु पात्र होंगे। इसका आशय यह नहीं है कि इस योजना के कार्यान्यवन के क्रम में केंद्र और राज्य सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को भाग न लेने दिया जाए।
इस योजना के तहत जो संगठन वित्तीय सहायता हेतु आवेदन करने के लिए पात्र हैं, वे इस प्रकार हैं –
इसमें इसके बाद प्रयुक्त होने वाले ‘संगठनों’ शब्द का आशय ऊपर उल्लिखित संगठन तथा उक्त परिभाषा के अंतर्गत आने वाले गैर- सरकारी संगठन (एनजीओ) होंगे।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संगठनों के माध्यम से नेतृत्व-क्षमता विकास प्रशिक्षण योजना का कार्यान्वयन कराया जाएगा।
चुनिन्दा संगठन परियोजना को अपने संगठनिक ढांचे का माध्यम से इलाके/ग्राम/क्षेत्र में सीधे कार्यान्वित कर सकते हैं।
परियोजना को समुचित और सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी उस संगठन की होगी जिसे मंत्रालय द्वारा कार्य सौंपा गया है।
नेतृत्व-क्षमता विकास प्रशिक्षण मॉड्यूलों में निरपवाद रूप से संविधान और विभिन्न अधिनियमों के अंतर्गत शिक्षा, रोजगार, आजीविका इत्यादि से जुड़े माहिलाओं के सरकारों और अधिकारों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थय, स्वच्छता, पोषण, प्रतिरक्षण, परिवार नियोजन, रोग नियंत्रण, उचित मूल्य की दुकान, पेयजल आपूर्ति, विद्युत आपूर्ति, साफ-सफाई, आवास, स्व-रोजगार, मजदूरी रोजगार, कौशल प्रशिक्षण अवसर, महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध इत्यादि के क्षेत्रों में उपलब्ध अवसर, सुविधा और सेवा कवर होनी चाहिए। इन मॉड्यूलों ने पंचायती राज और नगरपालिका में महिलाओं की भूमिका, महिलाओं के कानूनी अधिकार, सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई), महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (मनरेगा), घरेलू सर्वेक्षण और गरीवी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की सूची/कार्य-रीतियाँ, आधार/ यूआईडी नं., सरकारी, अर्द्धसरकारी कार्यालय ढाँचा और कार्य की जानकारी, निवारण मंचों/तंत्रों आदि को भी कवर किया जाएगा।
आधारिक स्तर के स्थानीय संगठनों को नियोजित करते हुए स्थानीय मुददों/जरूरतों पर आधारित विशिष्ट प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाएंगे। यह मंत्रालय मॉड्यूल तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्रालय आदि से भी सलाह – मशविरा कर सकता है। प्रशिक्षण मॉड्यूलों को हिंदी, अंग्रेजी तथा क्षेत्रीय भाषाओँ की डीवीडी में भी रूपांतरित किया जाएगा। लागत का वहन योजना के अंतर्गत प्रशासिनक व्यय से किया जाएगा।
प्रशिक्षण मॉड्यूल इस तरह से तैयार किए जायेंगे जिससे कि प्रशिक्षण संबंधी इनपुट्स संक्षिप्त चरणों में दिए जा सकें।
प्रशिक्षण मॉड्यूल को और अधिक रूचिकर तथा व्यापक बनाने की दृष्टि से प्रशिक्षण सामग्री में श्रव्य-दृश्य सामग्री और विषय से जुड़े अध्ययन शामिल किए जाएंगें। संगठनात्मक क्षमता, संवाद कौशल, स्व – विकास और सुस्पष्टता, संभ्राषन और सार्वजनिक रूप में भाषण क्षमता निर्माण, वार्ता और विवाद समाधान आदि प्रशिक्षण के अभिन्न अंग होंगे। सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए और योजना को और जीवंत एवं सहक्रियात्मक बनाने हेतु समूह अभ्यास और वाद-विवाद को प्रशिक्षण मॉड्यूल में शामिल किया जाएगा। यदि संभव हो तो प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं महिलाओं के साथ संवाद और अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों के संबंध में बोलने के लिए सरकारी संस्थाओं, बैंकरों आदि को आमंत्रित किया जाना चाहिए।
आवश्यक होने पर, मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं में नेतृत्व-क्षमता विकास से जुड़ी उपयुक्त प्रशिक्षण मॉड्यूल/सामग्री को तैयार करने के लिए बाहर से विशेषज्ञ/परामर्श/एंजेसी को नियोजित किया जाना चाहिए।
अनुमोदन प्रदान समिति बाहरी विशेषज्ञ/परामर्शक/एजेंसी और चयनित संगठन द्वारा तैयार किए गए प्रशिक्षण मॉड्यूलों को अनुमोदित करने/उनकी अनुशंसा करने संबंधी समिति का कार्य भी करेगी। इस समिति में इस योजना के उद्देश्यों से जुड़े गृह मंत्रालय, महिला एवं विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, श्रम और रोजगार मंत्रालय, स्वास्थय औरपरिवार कल्याण मंत्रालय, खाद्य एवं सर्वजानिक वितरण विभाग, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग और वे मंत्रालय/विभाग जिनकी योजनाओं/कार्यक्रमों/पहलों को प्रशिक्षण मॉड्यूलों में शामिल में किया गया हो, की योजनाओं का कार्य देख रखी संयूक्त सचिव समिति के सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
गांवों/शहरी इलाकों का चयन: संगठन द्वारा अल्पसंख्यक आबादी की पर्याप्त प्रतिशतता वाले ग्रामीण/शहरों क्षेत्रों के ग्रामीण/शहरी इलाकों को नेतृत्व-क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन के लिए चयन किया जाएगा। उन गांवों की सूची, जहाँ ग्रामीण/शहरी इलाकों में प्रशिक्षण आयोजित किए जाने प्रस्तावित हैं, अल्पसंख्यक आबादी की प्रतिशतता की सूचना के साथ मंत्रालय को प्रस्तुत की जाएगी। हे सूचियाँ स्थानीय प्राधिकारी द्वारा विधिवत-अधिप्रमाणित होगी तथा परियोजना प्रस्तावों सहित अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को सीधे भेजते हुए भारत सरकार को प्रस्तुत की जाएँगी।
प्रशिक्षण हेतु महिलाओं की पहचान और चयन मानदंड: अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व विकास के लिए प्रशिक्षण संचालन हेतु चयनित संगठन की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाले गांवों/इलाकों से योजना के मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण हेतु महिलाओं का चयन, पहचान और प्रेरित करें। महिला प्रशिक्षुओं की पहचान/चयन हेतु संगठनों में ग्राम पंचायत/नगर निकाय/स्थानीय प्राधिकरण के प्रमुख शामिल होंगे और ऐसी सूचियां पंचायत/नगर निकाय/स्थानीय प्राधिकरण के प्रमुख द्वारा विधिवत अधिप्रमाणित होंगी। संगठन द्वारा प्रशिक्षण आरंभ होने से पहले सूची प्रस्तुत की जाएगी।
पात्र महिला प्रशिक्षणार्थी : यद्यपि वार्षिक आय की कोई सीमा नहीं होगा, फिर भी उन महिलाओं को प्रशिक्षण हेतु चयन में वरीयता दी जाएगी जिन महिलाओं के माता-पिता अथवा संरक्षक के सभी स्रोतों से वार्षिक आय 2.50 लाख से अधिक न हो। प्रशिक्षण हेतु चयनित महिलाएँ 18 वर्ष से 65 वर्ष आयु वर्ग के बीच की होनी चाहिए।
आधार/यू आई डी नंबर: देश के सभी नागरिकों के एक विशिष्ट पहचान संख्या, जिसे आधार नाम दिया गया है, दी जा रही है। आधार न. उस संगठन द्वारा एकत्र किया जाना चाहिए, जहाँ से यह जारी किया गया है तथा प्रशिक्षण के लिए चयनित महिला के नाम के सामने उसका उल्लेख किया जाना चाहिए। संगठन, जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय अथवा केंद्र सरकार/राज्य सरकार/सरकारों भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यू. आई.डी. आई.) इत्यादि द्वारा इस प्रयोजनार्थ प्राधिकृत अन्य किसी संस्थान, संगठन से अपना आधार नंबर प्राप्त करने में महिला प्रशिक्षणार्थियों की सहायता भी करेंगे।
प्रशिक्षण के प्रकार: नेतृत्व विकास प्रशिक्षण दो तरह के होंगे अर्थात गैर- आवासीय एवं आवसीय तथा प्रत्येक प्रशिक्षण के लिए महिलाओं के चयन के मानदंड इस प्रकार होंगे :-
क) ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों में गैर- आवासीय नेतृत्व-क्षमता विकास प्रशिक्षण: विशेषता अल्पसंख्यक महिलाओं के कल्याण और बेहतरी तथा सामान्यता: समाज के कल्याण के लिए समर्पित, प्रतिबद्ध एवं प्रेरित 25 ग्रामीण महिलाओं को एक बैच में नेतृत्व प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इन 25 महिलाओं के समूह में कम से कम 10% महिलाओं ने 10 वीं कक्षा अथवा इसके समतुल्य कक्षा उत्तीर्ण की हुई होनी चाहिए। यदि 10वीं कक्षा उत्तीर्ण महिलाएँ आसानी से उपलब्ध नहीं हैं तो इसमें छूट प्रदना करते हुए इसे 5वीं कक्षा अथवा इसके ,समतुल्य कक्षा तक किया जा सकता है। संगठनों से यह अपेक्षित होगा कि वे इस प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षणार्थी के पांच बैचों के सेटों हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करें।
ख) आवासीय नेतृत्व- क्षमता विकास प्रशिक्षण: एक गाँव/शहरी क्षेत्र की अधिकतम 5. महिलाओं (एक बैच) को आवासीय प्रशिक्षण के इए 25 महिलाओं के समूह में से आवासीय नेतृत्व- क्षमता विकास प्रशिक्षण के लिए चयन किया जा सकता है। ऐसी महिलाओं को कम से कम बारहवीं अथवा उसके समतुल्य कक्षा का प्रमाण पत्र धारी होना चाहिए। ऐसी माहिलाओं के आसानी से उपलब्ध होने पर 10 वीं कक्षा की प्रमाण – पत्र धारी ऐसी महिलाओं को प्रशिक्षण हेतु शामिल किया जा सकता है, जो स्वास्थय की दृष्टि से पूर्णत: थीं हों तथा विशेषता: अल्पसंख्यक महिलाओं के कल्याण और बेहतरी तथा सामान्यत: समाज के कल्याण के कार्य के लिए समर्पित, प्रतिबद्ध एवं प्रेरित हों। उन्नत प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं से आशा की जाएगी कि वे गांवों में समुदाय आधारित नेतृत्व प्रदना करते हुए योजना के तहत यथा परिकल्पित नेता/प्रशिक्षकों की भूमिका निभाएं। योजना के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की दृष्टि से ये महिलाएँ सरकारी एंजेसियों और संगठनों के लिए भी उपलब्ध रहेंगी।
प्रशिक्षण संचालन:
1) इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश महिलाओं को अपने घरों मर रहना होता है तथा घर से अधिक दूर नहीं आ सकती हैं और इस तथ्य के मद्देनजर भी कि विशेषत: ग्रामीण महिलाओं की बहेतरी के लिए और सामान्यत: समुदाय के लिए समर्पित भाव से कार्य करने वाली युवा एवं शिक्षित महिलाएँ हो सकती हैं, योजना के तहत दो तरह का प्रशिक्षण दिया गया है।
2) यह परिकल्पना है कि नेतृत्व – क्षमता विकास प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएँ योजना के उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्य करेंगी।
3) संगठन यह सुनिश्चित करने के इए इन महिलाओं की कम से कम एक वर्ष के लिए देखरेख और सहायता करेंगे ताकि शक्ति प्राप्त ग्रामीण महिलाएँ आधारभूत अवसरंचना तथा सेवाओं की उपलब्धता/अनुलपब्धता से जुड़ी, परियोजना की तैयारी के दौरान अभिनिर्धारित गांवों/क्षेत्रों की जरूरत और तैयारी में बेहतरी की समान, अपनी शिकायतों/समस्याओं को ग्राम/ब्लॉक/जिला/राज्य प्राधिकरणों तक ले जाने में दबाव समूह का कार्य करने में सक्षम हो।
4) संगठन को यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि देख – रेख/हैण्ड होल्डिंग के लिए लगाई गए सेवा प्रदाता यथा निर्धारित गावों/शहरी क्षेत्रों का दौरा करे, तत्परता से अपने कार्यों को अंजाम दें तथा प्रगति की सूचना दें तथा उसे जरूरत पड़ने पर संगठन की सहायता प्राप्त हो।
5) प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन निम्नलिखित ढंग से किया जाएगा:-
क) ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों में गैर-आवासीय प्रशिक्षण: गाँव/इलाकों में प्रशिक्षण का संचालन विद्यमान सुविधाओं का इस्तेमाल करके अथवा किराए पर स्थायी इमारत को लेकर किया जाएगा। प्रशिक्षण की अवधि 6 दिनों की होगी और प्रत्येक दिवस छह: घंटों के लिए होगा। यह सुनिश्चित करने की ओर ध्यान दिया जाएगा की मौसमों की मांग और धर्मिक अवसरों/त्योहारों की तिथियों से प्रशिक्षण मॉड्यूलों के आधार पर क्षेत्रों की स्थानीय भाषा में मुद्रित प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से आय/ मजदूरी की आंशिक प्रतिपूर्ति के लिए प्रशिक्षण हेतु चयनित महिलाओ को भत्ता/वृत्तिका के साथ-साथ आहार और दिन में प्रशिक्षण कें दौरान उनके बच्चों के लिए शिशुसदन की व्यवस्था की जाएगी। संगठनों द्वारा प्रशिक्षण देने के कायर में लगाए गए प्रशिक्षकों में कम से कम दो- तिहाई प्रशिक्षण महिलाएँ होंगी जो प्रशिक्षण मॉड्यूल में दिए गए विषयों पर अपना व्याख्यान उस क्षेत्र की स्थानीय भाषा में देने में सक्षम होंगी।
ख) आवासीय नेतृत्व – क्षमता विकास प्रशिक्षण: चयनित पात्र महिलाओं को आवासीय प्रशिक्षण संस्थानों में नेतृत्व – क्षमता विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। संगठनों के प्रशिक्षण संस्थानों में आवासीय प्रशिक्षणों को अनुमोदित करने के लिए, संबंधित संस्थानों के पास किसी सुरक्षित स्थान पर कम से कम 25 महिलाओं के लिए आवास/भोजन की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसका जिला प्रशासन द्वारा सत्यापन किया जाएगा। प्रशिक्षण मॉड्यूलों के आधार पर संगठन द्वारा विशेष की स्थानीय भाषा में मुद्रित प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। यह सुनिश्चित करने की की ध्यान दिया जाएगा कि मौसम की मांग और धार्मिक अवसरों/त्योहारों की तिथियों से प्रशिक्षण की तिथियाँ मेल न खाए। योजना में पूरा प्रशिक्षण शुल्क, प्रशिक्षण सामग्री, आवास भोजन, जलपान तथा यात्रा व्यय शामिल होगा। प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण आवधि के लिए भत्ता/ वजीफा प्रदान किया जाएगा। अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व - क्षमता विकास हेतु प्रशिक्षण हेतु प्रशिक्षण का संचालन कर रह संघठन की यह जिम्मेदारी होगी कि योजना के मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षण हेतु ऐसी महिलाओं का चयन करे, जो प्रशिक्षक बनने की क्षमता रखती हों और नेतृत्व भूमिका ग्रहण करने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करने की क्षमता रखती हो और नेतृत्व भूमिका ग्रहण करने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करने की क्षमता रखती हो।
कार्यशाला:
प्रशिक्षण संगठन, जिला कलेक्टर/उपयुक्त/उप – संभागीय अधिकारी/खंड विकास अधिकारी के साथ मिलकर जिला/उप-संभाग/ ब्लॉक आदि पर सरकारी संस्थाओं, बैंकरों और पंचायती राज्य संस्थाओं को इस योजना के तहत चलाए जा रह महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम की जानकारी के लिए कम से कम आधे दिन की कार्यशाला आयोजित करेंगे। सरकारी पदाधिकारियों को उन सुधारात्मक कारवाईयों से अवगत कराया जाएगा, जिसकी मांग महिला समूहों द्वारा हो सकती है तथा उनकी समस्याओं और शिकायतों को दूर करने के लिए वे कैसे अनुक्रियाशील हो सकते हैं। यदि संगठन स्वीकृत हैं तो जिला प्रशासन इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने की जिम्मेदारी चुने हुए किसी संगठन स्वीकृत हैं तो जिला प्रशासन इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने की जिम्मेदारी चुने हुए किसी संगठन को सौंप सकती है। चयनित संगठन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस योजना के तहत अन्य संगठनों की जिले/उप-संभाग/ब्लॉक में स्वीकृत प्रशिक्षण परियोजनाएं कार्यशाला में शामिल हो। कार्यशाला आयोजित करने के लिए, संबंधित संगठन को रू. 15.000 की राशि स्वीकार्य होगी।
देख – रेख एवं सहायता:
देख-रेख एवं सहायता,संगठन द्वारा प्रशिक्षण के बाद उन महिलाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ होने से लेकर अधिकतम 1 वर्ष की अवधि तक सेवा स्वरूप प्रदान की जाएगी, जिन्होंने नेतृत्व- क्षमता विकास प्रशिक्षण लिया हो। संगठन के सुविधा – प्रदाता परियोजना अवधि के दौरान एक माह में कम से कम एक बार शक्तिप्रदत्त महिलाओं की सहायता के लिए गाँव/इलाकों का दौरा करेंगे। यह, योजना की सफलता के लिए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि उन्हें अपनी समस्याओं और शिकायतों को इस योजना में यथा परिकल्पित सुधारात्मक कार्यवाई हेतु संबंधित प्राधिकारियों के समक्ष रखने के लिए मार्गदर्शन एवं सहायता मिल रही है।
समवर्ती निगरानी और रिपोर्ट प्रस्तुत करना: संगठन देख – रेख एवं सहायता सेवाएँ प्रदान करते समय यथा अपेक्षित सुधारात्मक कार्रवाई के लिए समवर्ती निगरानी करेगा। संगठन, निर्धारित किए जाने वाले प्रारूपों में परियोजना पूरा होने के आशय की रिपोर्ट तथा मासिक/तिमाही प्रगति रिपोर्ट मंत्रालय को प्रस्तुत करेगा। मंत्रालय की अपेक्षानुसार संगठन द्वारा ऐसी रिपोर्ट राज्य और जिला प्रशासन को भी प्रस्तुत करनी होगी। इसके अतिरिक्त, संगठन जी. पी. एस. समर्थित मोबाइल फॉर के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य क्रियाकलापों यथा संकाय द्वारा किए गए संबोधन, सरकारी तंत्रों, प्रदान किए जा रहे मध्याहन भोजन/भोजन, श्रव्य –दृश्य उपकरणों के प्रयोग तथा शिकायतों के निपटान के लिए प्रस्तुत याचिकाओं/पेश आ रही समस्याओं, आयोजित की जार रही कार्यशाला आदि के फोटो भेजेंगे।
प्रस्ताव के साथ-साथ, संगठन कम से कम पांच ग्रामीण/ क्षेत्र स्तर के प्रशिक्षण के बैच हेतु परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।संगठन 5 (पांच) गैर – आवासीय ग्रामीण/शहरी क्षेत्र के प्रशिक्षणों की प्रत्येक परियोजना के लिए एजेंसी शुल्क/ प्रभार के रूप में रू. 25.000 की राशि प्राप्त करने के हक़दार होंगे। जो परियोजना के सफल कार्यान्वयन तथा समुचित एवं समयबद्ध
आवासीय प्रशिक्षण के संदर्भ में, प्रशिक्षनार्थियों के एक बैच के लिए रू. 15,000/- माते की राशि एजेंसी शुल्क/ प्रभार के रूप में प्राप्त करने की हक़दार होगी।
संगठन को योजना के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। नीचे सारणी में दी गए मद- वार दरें संकेतात्मक हैं तथा कार्य संचालन क्षेत्र, प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा प्रभारित शुल्क, बोडिंग लागत आदि के अनुसार भिन्न- भिन्न हो सकती है।प्रत्येक तरह के प्रशिक्षण के लिए उल्लिखित कुल लागत 25 महिलाओं के बैच के लिए स्वीकृत की जाने वाली अधिकतम अनुमन्य लागत होगी। तथापि, निर्धारित भत्ता/वेतन को छोड़कर मद-वर लागत अंत: परिवर्तनीय होंगी, बशर्ते कि वह कुल अनुमन्य राशि से अधिक न हो। प्रशिक्षण यात्रा आदि के संदर्भ में होने वाले प्रस्तावित व्यय के लिए संगठन द्वारा परियोजना प्रस्ताव में सहायक एवं आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। दरें निम्नलिखित सारणी में दी गई है :-
महिलाओं के लिए गांवों/मुहल्लों में गैर – आवासीय नेतृत्व- क्षमता विकास प्रशिक्षण हेतु दरों के ब्यौरे
क्रम सं. |
नेतृत्व – क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए व्यय की मद |
व्यक्तियों की संख्या |
संकेतात्मक दर (रू.) |
अवधि/यूनिट |
कूल लागत (रू) |
1 |
(1) ग्रामीण/मुहल्लों में नेतृत्व विकास प्रशिक्षण |
|
|
|
|
|
(क) संकाय सदस्यों/व्यक्ति को लगाने के लिए शुल्क/ मानदेय |
2 |
500 |
6 दिन |
6000 |
|
(ख) संकाय सदस्यों/व्यक्ति के लिए आने जाने का मार्ग व्यय |
2 |
2500 |
3 बार |
1500 |
|
(ग) संकाय सदस्यों के लिए रहने की लागत |
2 |
250 |
6 दिन |
3000 |
|
(घ) स्थल, फर्नीचर और शिशु सदन सुविधा को किराए पर लिया जाना |
|
750 |
6 दिन |
4500 |
|
(ङ) प्रशिक्षु महिलाओं हेतु एक बार के आहार की लागत |
25 |
50 |
6 लंच |
750 |
|
(च) श्रव्य – दृश्य सहायता, प्रशिक्षण किट और रिपोर्ट के लिए विभिन्न कार्यों हेतु श्रव्य – दृश्य क्लिप को इस्तेमाल करना/ किराये पर लिया जाना |
|
2000 |
6 दिन |
12000 |
|
(छ) स्थानीय भाषा में प्रशिक्षण सामग्री और साहित्य तथा तथा लेखन सामग्री वितरित करने का खर्च |
25 |
200 |
एक बार |
5000 |
|
(ज) महिलाओं के लिए भत्ता/वृत्तिका (चैक द्वारा लाभार्थी के खाते में देय) |
25 |
50 |
6 दिन |
7500 |
|
(झ) पात्र महिलाओं को प्रेरित करने, उनकी पहचान और उनके चयन की लागत |
25 |
50 |
एक बार |
1250 |
|
(ञ) समवर्ती निगरानी और रिपोर्टिंग, के साथ – साथ परियोजना अवधि के लिए सुविधा प्रदाता द्वारा देख – रेख/ पोषण लागत |
|
400 |
12 महीनों के लिए प्रतिमाह एक बार |
4800 |
2 |
योग |
|
|
|
66550 |
3 |
गैर- आवासीय ग्रामीण प्रशिक्षण के पांच बैचो के लिए कुल योग |
|
66550 |
5 बैच (125 महिलाएँ) |
332750 |
4 |
ग्रामीण प्रशिक्षण के पांच बैचों के लिए एजेंसी शुल्क/प्रभार जोड़ें |
|
25000 |
|
357750 |
आवासीय नेतृत्व क्षमता विकास प्रशिक्षण हेतु दरों का ब्यौरा
क्रम सं. |
नेतृत्व – क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए व्यय की मद |
व्यक्तियों की संख्या |
संकेतात्मक दर (रू.) |
अवधि/यूनिट |
कूल लागत (रू) |
1 |
(1) आवासीय में नेतृत्व विकास प्रशिक्षण |
|
|
|
|
|
(क) शुल्क, बोर्डिंग, आहार आदि शामिल (वास्तविक की अदायगी) |
25 |
1000 |
6 डिंग |
150000 |
|
(ख) साहित्य, प्रशिक्षण सामग्री, सूचना पुस्तिका, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रम की प्रतियाँ, संगत कानून और अधिनियम, लेखन सामग्री |
25 |
600 |
एक बार |
15000 |
|
(ग) संकेतात्मक परिवहन व्यय (वस्ताविक की अदायगी) |
25 |
1000 |
एक बार जाने का |
25000 |
|
(घ) महिलाओं के लिए भत्ता/वृत्तिका (चैक द्वारा लाभार्थी के खाते में देय |
25 |
100 |
6 दिन |
15000 |
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(ङ) पात्र महिलाओं को प्रेरित करने, उनकी पाचन और उनके चयन की लागत |
25 |
50 |
एक बार |
1250 |
2 |
योग |
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|
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206250 |
3 |
आवासीय प्रशिक्षण के एक बैच (25 महिलाएँ) के लिए एजेंसी शुल्क/प्रभार जोड़ें |
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15000 |
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221250 |
मंत्रालय को इस योजना के तहत वार्षिक आंवटन में से 1.5% भाग को अपने प्रशासनिक व्यय जैसे कम्प्यूटर और सहायक सामाग्री, जी पी एस युक्त मोबाईल फोन और सहायक सामग्री, फर्नीचर, लेखन सामग्री और साफ्टवेयर, प्रशिक्षण मॉड्यूलों की डीवीडी की खरीद आंकड़ो के विश्लेषण और उनकी प्रविष्टि के लिए कार्मिकों/एजेसियों की तैनाती, प्रस्तावो से संबंधित के के निस्तारण, रिपोर्टों की निगरानी और मूल्यांकन, नोट तैयार करना, पावर पॉइंट प्रस्तूतिकरण और रिपोर्ट, मंत्रालय की वेबसाइट पर सूचना और आंकड़े उपलब्ध कराने, कार्य दिवस में प्रश्न और उत्तर की सुविधा के लिए टेलीफोन की व्यवस्था अथवा ऐसे कार्यों आउटसोर्स करने, विज्ञापन जारी करने, प्रशिक्षण और पाठ्य – सामग्री के लिए परामर्शी प्रभारों आदि के लिए अलग से रखने की अनुमति होगी। राज्य/सरकारी संगठनों को इस योजना के त्वरित कार्यान्वयन के लिए अपेक्षित व्यय की पूर्ति हेतु भी वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस निर्बाध में जी. पी.एस. आधारित मोबाइल फोन की खरीद की व्यय और सरकारी पदाधिकारियों और आंकलन कर्त्ताओं के दौरों पर हुआ व्यय शामिल है।
इस योजना का कार्यान्वयन अल्पसंख्यक बहुल जनसंख्या वाले जिलों, ब्लॉकों और नगरों/शहरों पर विशेष ध्यान देते हुए देश भर में किया जाएगा। संपुर्ण 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, 2 लाख अल्पसंख्यक महिलाओं, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 40,000 महिलाओं, को प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव है। संपूर्ण 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान, 75 करोड़ की निधि की आवश्यकता होगी।
योजना के कार्यान्वयन के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय/क्षेत्रीय समाचार – पत्रों में विज्ञापन देकर संगठनों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।
अनिवार्य अहर्ताएं: महिलाओं के कल्याण और विशेषकर, अल्पसंख्यक महिलाओं के मध्य कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध, समर्पित और प्रेरित संगठनों का चयन सुनिश्चित करने के लिए कठोर मानदंड अपनाया जाएगा। इन संगठनों के पास परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए बिल्कुल निचले स्तर पर कार्य संचालित करने हेतु कार्मिक, वित्त और अवसंरचना होना चाहिए। संगठन द्वारा अन्य अल्पसंख्यक अपेक्षाओं पर विचार करने से पूर्व निम्नलिखित अनिवार्य अर्हताएं पूरी की जानी अपेक्षित होंगी:-
(क) संगठन को विधिवत पंजीकृत होना चाहिए और कम से कम तीन वर्ष से कार्य संचालन में लगा होना चाहिए।
(ख) संगठन को वित्तीय रूप में अर्थक्षम होना चाहिए तथा पिछले तीन वर्षों के दौरान घाटे में नहीं होना चाहिए। इसके लिए, प्रस्ताव के साथ पिछले तीन वर्षो की विधिवत लेखा परीक्षित वार्षिक रिपोर्ट मंत्रालय को उपलब्ध करानी चाहिए।
(ग) संगठन को पिछले तीन वर्षों के दौरान अपनी सभी संविधिक अपेक्षित बैठकें आयोजित किए हुए होना चाहिए। इसके प्रमाण में कागजात प्रस्तुत किए जाने चाहिए।
(घ) संगठन ने महिलाओं के उत्थान के लिए कम से कम एक परियोजना चलाई हुई हो और कार्यक्रम भी आयोजित किए हों जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय भी शामिल किए गए हों इस आशय का प्रमाण प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
(ङ) स्थानीय आधारिक स्तर संगठनों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें स्थानीय प्राधिकारियों/जिला कलेक्टर/शहरी स्थानीय निकायों द्वारा प्रमाणित होना चाहिए कि ऐसे संगठनों ने महिला विकास परियोजनाओं के विशेष क्षेत्र में काम किया है और अच्छे परिणाम भी दिए है।
(च) संगठन से पास कम से कम तीन ऐसे मुख्य प्रशिक्षक कार्मिक होने चाहिए, जो कम से कम स्नातक धारक/डिप्लोमाधारक हों। ऐसे भी कार्मिकों के नामों, लिंग शैक्षिक योग्यता, विशेषज्ञता का क्षेत्र, अनुभव की अवधि और प्रकार, पूरा डाक पता और संपर्क नंबर की सूची दी जानी चाहिए । एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए)।
(ज) प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रदान करने वालों के लिए आवासीय प्रशिक्षण के मामले में संगठन के पास अपेक्षित आवासीय सुविधा और प्रशिक्षण स्थान और शौचालय होने चाहिए, जो कम से कम 25 प्रशिक्षुओं के लिए पर्याप्त हो। प्रशिक्षुओं की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए।
आवेदन पर विचार किए जाने के लिए अपेक्षाएं: संगठन का चयन करने के लिए निम्नलिखित अनिवार्य अपेक्षाएं है। इसके लिए संबंधित संगठन द्वारा निम्नलिखित दस्तावेजों आदि की स्व- प्रमाणित फोटोप्रातियाँ जो अनिवार्य अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए जरूरी है, प्रस्तुत की जानी होंगी:-
(क) संगठन को संघ उप- नियम/ अनुच्छेद अंतर्नियम आदि प्रस्तुत करने होंगे।
(ख) संगठन द्वारा पिछले वर्ष का आयकर निस्तातरण प्रस्तुत करना होगा।
(ग) संगठन द्वारा उस राज्य और जिले का नाम दस्तावेजों के साथ (उप-नियम/संस्था के अंतर्नियम) प्रस्तुत करना होगा, जहाँ उसे कार्य करने का अधिकार है।
चयन हेतु वरीयता दिया जाने वाले मानदंड : पात्रता तथा न्यूनतम अर्हता अंक को अंक को वरीयता देते हुए संगठन की उपयूक्त के आंकलन संबंधी मानदंड, जिनमें सरकारी निर्देशों/सामान्य वित्त नियमावली (जीएफआर) की अपेक्षा के अनुसार संशोधन/ बदलाव किया जा सकता है, नीचे दिए गए हैं: -
(क) संगठन के अस्तित्व में रहे के वर्षों की संख्या त्तथा न्यूनतम तीन वर्ष की अपेक्षा से अधिक कार्य करने की अवधि।
(ख) संगठन द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए कार्यान्वित परियोजनाओं की संख्या।
(ग) किसी मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा मूल्यांकित संस्थान के कार्य निष्पादन संबंधी रिकॉर्ड।
(घ) संगठन द्वारा इस योजना के तहत उस इलाके/क्षेत्र/ मुहल्ले में सामान संस्कृतिक माहौल में कार्यान्वित करने की इच्छा रखता हो।
(ङ) संगठन के लिए कार्य कर रहे सामाजिक कार्य में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर उपाधिकारी मुख्य कार्मिकों की संख्या।
(च) संगठन के लिए कार्य कर रही महिला फील्ड वर्करों/ सुविधा प्रदाताओं की संख्या।
(छ) संगठन द्वारा सरकारी, द्विपक्षीय, बहु-पक्षीय वित्तीय एजेंसी/संस्थान अथवा संयुक्त राष्ट्र से वित्तीय सहायता प्राप्त तथा शुरू किए गए परियोजनाओं की संख्या।
उपर्युक्त में उल्लेखित प्रावधान विश्वविद्यालय अनुदान (यूजीसी) से मान्यता केन्द्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों/सरकारी संस्थानों तथा केन्द्रीय और राज्य सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होंगे। ऐसे संगठनों/संस्थानों के संदर्भ में प्रस्ताव सीधे राज्य सरकारों/ संघ राज्य प्रशासनों से उनकी अनुशंसाओं के साथ मंगाएं जाएंगे।
मंत्रालय द्वारा निर्धारित अनिवार्य अर्हताओं तथा अपेक्षाओं को पूरा करने वाले संगठनों को, मंत्रालय में गठित समिति द्वारा, संगठन द्वारा अर्जित अर्हक अंकों तथा उसे दी गई वरीयता के आधार पर इस संदर्भ में सामान वित्तीय नियमावली/संगतपूर्ण सरकारी अनुदेशों के अनुसार चयन किया जाएगा।
प्रस्ताव दो भागों का होगा। भाग- 1 में, संगठन पैरा, 13.1 से पैरा 13.3 में उल्लेख किए गए अनिवार्य मापदंडों के अनुसार पाने प्रत्यय पत्र और दस्तावेज प्रस्तुत करेगा और भाग – 2 में विस्तृत परियोजना प्रस्ताव शामिल होगा। प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत निर्धारित आर्थिक मानको का कड़ाई किया जाएगा। इस चरण प्रशिक्षुओं की सूची सौंपने की जरूरत ऐच्छिक है।
संपूर्ण प्रस्ताव (भाग – 1 एवं 2) को जिला अल्पसंख्यक कल्याण अदिकारी द्वारा जिला कलेक्टर को प्रस्तुत किया जाएगा, जी इसे मंत्रालय को अपनी टिप्पणियों/सिफारिश के साथ मंत्रालय को सीधे ही भेज देगा। जिला प्रशासन को जरूरत होगी की वह प्रत्यय [पत्र, संगठनों के क्रियाकलापों और क्षमताओं, अल्पसंख्यक बहुल जनसंख्या वाले गाँव/मुहल्ले का सत्यापन और गाँव/ मुहल्ले में ऐसे प्रशिक्षण की प्रस्तावित जरूरत और परियोजना के कार्यान्वयन से संबंधित अन्य कोई मामला मामला, सुनिश्चित करें।
संगठन को अनिवार्य मानदंडों पर अपने प्रस्ताव को जाँच और विचार करने योग्य बनाने के लिए अर्हता प्राप्त करनी होगी। संगठन को इस प्रयोजन के लिए कम से कम 70% अंक प्राप्त करने अपेक्षित हैं।
जैसे ही एक संगठन उपर्युक्त 15.3 के अनुसार अर्हता प्राप्त कर लेता है, संगठन को निर्धारित प्रारूप में प्रशिक्षुओं की पूरी सूची प्रस्तुत करनी होगी जिसमें अनिवार्य रूप से, आयु, अर्हताएं, एवं परिवार की आय का ब्यौरा, आधार सं/वोटर पहचान संख्या/सरकार द्वारा पहचान के लिए निर्धारित प्रारूप में अन्य कोई अर्हता, शामिल होगी। ऐसे किसी संगठन कोई प्रस्ताव अनुमोदित नहीं किया जाएगा जो पंचायत प्रमुख/निगम का निकाय/स्थानीय प्राधिकरण द्वारा यथावत प्रमाणित प्रशिक्षुओं की पूरी सूची प्रस्तुत नहीं करते।
योग्य संगठनों की परियोजना को मंत्रालय में स्वीकृति प्रदाता, समिति के समक्ष विचारार्थ और अनुमोदनार्थ रखा जाएगा। वित्तीय सहायता उन्हीं संगठनों को दी जाएगी, जिनके परियोजना प्रस्ताव को ठीक एवं क्रम में पाया जाता है तथा जो योजना के उद्देश्यों को पूरा करते हों। को पूरा करते हों।
गांवों/क्षेत्र का आधारभूत विविरण: परियोजना प्रस्ताव में प्रत्येक गाँव/क्षेत्र में उपलब्ध आधारभूत सुविधा एवं सेवाओं का विस्तृत विवरण होगा। प्रत्येक गाँव की समस्याओं और शिकायतों से संबंधित आधारभूत विवरण के आधार पर नेतृत्व – क्षमता विकास प्रशिक्षण की उपलब्धि के आंकलन में मदद मिलेगी। ऐसे प्रशिक्षणों से महिलाओं को अपनी समास्याओं को उजागर करके निराकरण हेतु सशक्त और साहसी बनने में मदद मिलेगी। आधार रेखा प्रोफाइल को सरकारी कार्मिकों की उपलब्धता, विद्यमान अवसंरचनाओं/सेवाओं की स्थिति और उन तक पहुँच, सेवा प्रदानगी का मानक और गुणवत्ता संबंधी, निम्नलिखित से संबंधित आदि को तथा नई/अतिरिक्त अवसंरचना/ सेवाओं की आवश्यकता को कवर करना होगा: -
ग्रामीण महिलाओं के लिए कार्यान्वित अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के परिणाम का आंकलन महिलाओं द्वारा नेतृत्व की भूमिका धारण करने के सामर्थ्य तथा अवसर, कौशल, सुविधाओं और सेवाओं की प्राप्ति की दिशा में अपने अधिकारों की मांग सामूहिक अथवा व्यक्तिगत रूप से करने की क्षमता के आधार पर तथा स्वयं की जीवन दशा में सुधार लाने के लिए विकास से जुड़ी सरकार की योजनाओं के लाभ में अपनी हिस्सेदारी का दावा करने के आधार पर किया जाएगा। संगठन के परियोजना प्रस्ताव में महिला नेतृत्व विकास प्रशिक्षण के लिए चुने गए गांवों/स्थानों के विस्तृत विवरण के तहत उल्लेखित नागरिक/आधारभूत सुविधा तथा सामाजिक आर्थिक दशा से संबंधित सेवाओं और अवसंरचना की उपलब्धता के संदर्भ में वंचना का सामना कर रहे गांवों/स्थान का आंकलन परियोजना कार्यान्वयन अवधि के दौरान क्रियाकलाप से पहले और बाद की स्थिति के संदर्भ में किया जाएगा।
योजना के कार्यान्वयन के लिए संगठनों द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं पर विचार करने और उन्हें स्वीकृति प्रदान करने के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में स्वीकृति प्रदाता समिति गठित की जाएगा, जिसकी संरचना इस प्रकार हो:-
क) सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय - अध्यक्ष
ख) वित्तीय सलाहकार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय
ग) संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय - सदस्य
घ) संयुक्त सचिव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग - सदस्य
ङ) संयुक्त सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय - सदस्य
च) उप महानिदेशक, कौंसिल फॉर एडवांसमेंट ऑफ पीपुल्स
एक्शन एंड रूरल टेक्नोलॉजी (सीएपीएआरटी) - सदस्य
छ) कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय महिला कोष (आरएमके) - सदस्य
झ) प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास
एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) - सदस्य
ञ) संयुक्त सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (योजना से संबंद्ध) - संयोजक और सदस्य
वित्तीय सहायता देने के लिए निम्नलिखित नियम एवं शर्तें होंगी, जिन्हें मंत्रालय द्वारा किसी भी चरण पर संशोधित किया जा सकता है:-
क) संगठन की एक वेबासाइट होगी, जिसमें संगठन, मुख्यालय, क्षेत्र कार्यालयों, लैंड लाइन, दूरभाष नम्बरों, कार्मिकों, पिछले कार्यों तथा क्रियाकलापों के सभी ब्यौरा प्रदर्शित किए जांएगे तथा योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित की गई महिलाओं के नाम और आधार संख्या (जहाँ विशिष्ट पहचान – पत्र जारी किए गए हैं), पता और दूरभाष संख्या आदि तथा प्रशिक्षण की पश्चात् और पोषण तथा देख-रेख अवधि के दौरान उनकी जीवन और रहन-सहन दशाओं में सुधार लेन के लिए किए गए क्रियाकलापों के पूरे ब्यौरा रखेगा और यह सूचना मंत्रालय को प्रस्तुत करेगा।
ख) संगठन के पास सभी महत्वपूर्ण क्रियाकलापों जैसे संकाय द्वारा दिए जाने वले व्याख्यान, सरकारी पदाधिकारियों, प्रदान किए जाने वाले भोजन, श्रव्य – दृश्य उपकरणों के इस्तेमाल, पेश आ रही समस्याओं के निदान के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत करने तथा आयोजित की जा रही कार्यशालाओं आदि की फोटो के लिए डिजिटल कैमरा होना चाहिए। इन कैमरों में जी.पी.एस. रिसीवर के माध्यम से स्थितियों (अक्षांश और देशांतर) से फोटों लेने की सुविधा होनी चाहिए। यदि ऐसा उपकरण संगठन में उपलब्ध नहीं है, तो उसे यह वचन देना होगा कि वह धनराशि जारी होने से पहले यह उपकरण प्राप्त कर लेगा।
ग) संगठन को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित नियम एवं शर्तों को स्वीकारते हुए उस सक्षम अधिकारी के नाम के वचन पत्र प्रस्तुत करना होगा जो योजना के वास्तविक कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है और दो प्रतिभूति के साथ एक बांड प्रस्तुत करना होगा और स्वीकृत अनुदान से संबंधित खातों को प्रस्तुत करने के लिए भी वह जिम्मेदार होगा। दो प्रतिभूति प्रस्तुत करने की अपेक्षा संबंधी प्रावधान केन्द्रीय और राज्य सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त केन्द्रीय और राज्य विश्विद्यालयों/संस्थानों पर लागू नहीं होगा।
घ) संगठन को अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा जारी वित्तीय सहायता संबंधी अलग खाते का रख-रखाव करना होगा और निरीक्षण के लिए मंत्रालय द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराना होगा।
ङ) संगठन वित्तीय सहायता का उपयोग केवल निर्धारित उद्देश्यों के लिए करेगा।
च) प्रशिक्षणार्थियों को वजीफा चैक के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में दिया जाएगा।
छ) संगठन को यह आश्वासन देना होगा कि इस शर्त की उल्लंघन की दशा में सरकार से ली गई धनराशि को 18% वार्षिक दंडस्वरुप ब्याज दर के साथ अथवा मुख्य लेख नियंत्रक द्वारा निर्धारित दंड स्वरूप ब्याज दर के साथ लौटाना होगा तथा सरकार द्वारा आवश्यक मानी गई अन्य किसी कार्रवाई का सामना करना होगा।
ज) संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्णत: जिम्मेदार होंगे कि प्रशिक्षण के लिए पात्रता मानदंड को पूरा करने वाली महिलाओं का ही चयन की जाए।
झ) संगठन यह वचनबद्ध देंगे कि इस परियोजना से संबंधित उनकी भी खाते केंद्र सरकार/राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के अधिकारीयों या किसी चार्टड अकाउंटेंट द्वारा निरीक्षण के लिए सुलभ रहेंगे।
ञ) इस परियोजना के पूरा होने पर, संगठन द्वारा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को निम्नलिखित कागजातों के साथ चार्टेड एकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित और लेखा परीक्षित उपयोग प्रमाण – पत्र (जेएफआर- 19 ए) प्रस्तुत करना होगा:-
(i) वर्ष से संबंधित आय और व्यय के पूर्णत: लेखा परीक्षित खाते/तूलन पत्र तथा वर्ष के दौरान प्राप्त धनराशि के संदर्भ में संस्थान के प्राप्ति और भुगतान के खाते।
(ii) इस आशय का एक प्रमाण – पत्र की संस्थान ने भारत सरकार के किसी अन्य मंत्रालय/विभाग, राज्य सरकार, किसी सरकारी/गैर-सरकारी संगठन/द्विपक्षीय फंडिंग एजेंसी अथवा संयुक्त राष्ट्र से परियोजना के लिए कोई अनुदान प्राप्त नहीं किया है।
ट) प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थल पर संगठन द्वारा इस आवश्यक उल्लेख के साथ बैनर/बोर्ड लगाए जाएंगे कि प्रशिक्षण/कार्यशाला का आयोजन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है।
ठ) अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को कार्यक्रम आयोजन संबंधी पूर्व सूचना अग्रिम तौर पर मंत्रालय/राज्य सरकार/ संघ राज्य प्रशासनों को दी जाएगी ताकि प्रशिक्षण कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए कर्मचारियों को तैनात किया जा सके।
ड) प्रशिक्षण कार्यक्रम/कार्यशाला आयोजित करने के प्रमाण स्वरूप इसके फोटोग्राफ और वीडियो क्लिपिंग मंत्रालय को प्रस्तुत करने होंगे। इन्हें संगठन द्वारा अपनी वेबासाइट पर भी दिखाया जाएगा।
ढ) संगठन प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित स्थानीय भाषाओँ में प्रकाशित पुस्तिकाओं/प्रचार समाग्रियों आदि की प्रतियाँ मंत्रालय/राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगा।
ण) भारत सरकार को कार्यक्रम अथवा अनुमानित लागत में बदलाव करने संबंधी निर्देश संगठन को देने का अधिकार होगा।
त) सरकार को सहायता अनुदान जारी करने पहले कोई अन्य शर्त निर्धारित करने का अधिकार होगा।
थ) गांवों/क्षेत्रों में परियोजना प्रस्ताव को कार्यान्वित करने के लिए स्वीकृत संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि यथासंभव तैनात अधिकांश प्रशिक्षक महिलाएँ हों और इनमें से कुछ महिलाएँ किसी संबंधित अल्पसंख्यक समुदाय हों
संगठन को दो प्रतिभूतियों के साथ एक बांड और भरना होगा और यह काफी होगा यदि यह सीधे जारी की जाने वाली राशि के बराबर का है बांड दो प्रतिभूतियों के साथ भरना होगा और प्रस्तुत करना होगा। दूसरी और बाद की किस्त की राशि जारी किए जाने का आधार स्वीकृति आदेश के अनुलग्नक में उल्लेखित संगठन द्वारा पूरा की जाने वाली विभिन्न अपेक्षाएं होंगी, जिसमें सभी कार्यों/प्रशिक्षणों का फोटोग्राफ के रूप में प्रमाण, संगठन द्वारा आवधिक रिपोर्ट तथा उपयोग प्रमाण – पत्र आदि शामिल होंगे। दूसरी किस्त जारी किए जाने हेतु अल्पसंख्यक कल्याण कार्य से जुड़े जिला अधिकारी द्वारा निर्धारित फ़ॉर्मेट में प्रशिक्षण को संतोषजनक पूरा किए जाने की निरीक्षक रिपोर्ट आवश्यक होगी।
फोटोग्राफ स्वीकृति आदेश में यथा उल्लेखित प्रतिदिन के सभी कार्यों का फोटों संगठन में उपलब्ध जी.पी.एस मोबाइल फोन के माध्यम से लिया जाएगा। तथा मंत्रालय को इंटरनेट के पते पर प्रतिदिन भेजा जाएगा। संगठन द्वारा दिए गए सभी कार्यों का फोटोग्राफ मंत्रालय और राज्य सरकार को भेजे जाने पर ही दूसरी और बाद की किस्त जारी की जाएगी। संगठन इन फोटोग्राफों को अपनी वेबासाइट पर भी डालेंगे और इसकी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, राज्य सरकार और संबंधित जिला अधिकारीयों को देंगे।
निधियां जारी करना: मंत्रालय द्वारा संबंद्ध संगठन को स्वीकृत परियोजना प्रस्ताव के आधार पर निम्नलिखित ढंग से किश्तों में धनराशि जारी की जाएगी :-
गैर-आवासीय गांवों/शहरों क्षेत्रों में प्रशिक्षण के लिए:
प्रथम किश्त: स्वीकृत परियोजना लागत का 50% प्रशिक्षण शुरू होने से पहले जारी किया जाएगा। संगठन को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह धनराशि प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन और भत्तों/वृत्तिका का लिए व्यय हो। कार्यशाला आयोजन के लिए धनराशि एकमुस्तप्रथम किस्त के साथ जारी की जाएगी।
दूसरी किश्त: प्रशिक्षण कार्यक्रम के संतोषजनक पूरा होने के आशय का तहत प्रशिक्षित महिलाओं में कम से कम 50% महिलाओं द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र, जो पंचायत प्रमुख/निगम निकाय प्रमुख/प्रमुख स्थानीय प्राधिकारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित हो और उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर जारी की जाएगी।
बैंकों द्वारा निधियों का अंतरण इलेक्ट्रोनिक माध्यम से किया जायेगा, जहाँ कहीं एसे अंतरण की सुविधा उपलब्ध है।
संगठन/प्रशिक्षण संस्थान के खाते में सीधे ई-भुगतान के लिए संगठन को भुगतान प्राप्तकर्त्ता की ओर से एक प्राधिकार पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें संस्थान को ई-भुगतान से संबंधित पूरे ब्यौरा यथा – भुगतानकर्ता का नाम, बैंक का आई एफ सी कोड न. बैंक शाखा, बैंक शाखा का नाम, और संख्या पता आदि शामिल होगा। गलत खाता संख्या से बचने के लिए प्राधिकार पत्र पर बैंक शाखा प्रबंधक द्वारा प्रतिहस्ताक्षर किया जाएगा। पूरे वित्त वर्ष के लिए अथवा वर्ष के दौरान खाता संख्या बदले जाने तक के लिए केवल एक प्राधिकार पत्र अपेक्षित होगा।
संगठन की एक वेबासाइट होगी, जिसमें संगठन, मुख्यालय, क्षेत्र कार्यालयों, लैंड लाईन दूरभाष नंबरों, कार्मिक, पिछले कार्यों तथा क्रियाकलापों के ब्यौरे तथा योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित की गई की गई महिलाओं के नाम, आधार न. आधार न. पता, दूरभाष संख्या, प्रशिक्षण के बाद एवं पोषण तथा देख-रेख आवधि के दौरान उनके जीवन और रहन-सहन दशाओं में सुधार लाने के लिए किए गए क्रिया-कलापों आदि के सभी ब्यौरे प्रदर्शित करना आवश्यक है। मंत्रालय को यह सूचना देने से योजना के तहत महत्वपूर्ण तत्व का निर्माण होगा, जिससे सामाजिक लेखा परीक्षा की जा सकेगी। संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि आयोजित नेतृत्व विकास प्रशिक्षण के प्रश्न और उत्तर सत्रों सहित फोटोग्राफ और छोटे क्लिप्स के जाएँ तथा वेबासाइट पर डाले और मंत्रालय को उपलब्ध कराएँ जाएँ।
संगठन द्वारा कार्यान्वित परियोजनाओं के प्रगति की निगरानी के लिए मंत्रालय एक एनटीआर स्थापित करेगा तथा इस प्रयोजना से संबद्ध राज्य सचिव तथा कुछ ख्यातिप्राप्त महिलाओं/गैर-सरकारी संगठनों को समीक्षा बैठकों में आमंत्रित करेगा। स्वीकृति प्रदाता समिति द्वारा भी परियोजनाओं के कार्यान्यवन की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। महिलाओं और गैर-सरकारी संगठनों को निगरानी हेतु कुछ राशि भुगतान की जा सकती है।
प्रदाता समिति द्वारा भी परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। महिलाओं और गैर-सरकारी संगठनों को निगरानी हेतु कुछ राशि भुगतान की जा सकती है।
बहु – क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय समितियों, जिसमें जनता की प्रतिनिधि भी शामिल हों, को भी इस कार्यक्रम की निगरानी का काम भी सौंपा जा सकता है।
कार्यान्वयन संगठनों का आर्थिक अनुवीक्षण इस कार्य के लिए मंत्रालय द्वारा पैनल में शामिल सनदी लेखाकार द्वारा भी किया जाना चाहिए जिसके लिए भुगतान योजना के उप – शीर्ष व्यावसायिक प्रभारों से दिया जाएगा।
योजना का मध्यावधि मूल्यांकन 2015-16 में किया जाएगा। मध्यावधि मूल्यांकन के दौरान मंत्रालय विशेष रूप से किसी विशेष क्षेत्र में प्रशिक्षण मॉड्यूलों की जरूरत, ऐसे प्रशिक्षणों की वित्तीय अर्थक्षमता, अधिकतम महिलाएँ जिनको संगठन द्वारा प्रशिक्षित किया जा सकता है, की समीक्षा करेगा। इसे अनुसंधान/अध्ययन, प्रचार सहित विकास योजनाओं की निगरानी एवं मूल्यांकन के अंतर्गत, मंत्रालय के पैनल में शामिल एजेंसियों द्वारा अनुभवप्राप्त अधिकारी, महिलाओं, गैर-सरकारी संगठनों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।
परियोजना का प्रभाव आकलन और मूल्यांकन समय-समय पर अथवा अपेक्षित होने पर उपर्युक्त अनुसार मंत्रालय के पैनल में शामिल एजेंसी द्वारा किया जाएगा। ऐसे अध्ययनों के लिए धनराशि मंत्रालय की अनुसंधान/अध्यन, निगरानी और मूल्यांकन की मौजूदा योजना के तहत उपलब्ध करायी जाएगी।
मंत्रालय द्वारा योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा कार्यान्यवन के एक वर्ष बाद की जाएगी।
23.2 अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय राष्ट्रीय, क्षेत्रीय जरूरतों और लक्षित समूहों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए जब भी आवश्यक हो, कार्यान्वयन में सुधार के लिए वित्तीय पहलुओं को शामिल न करके, योजना में परिवर्तन/आशोधन कर सकता है।
स्रोत: भारत सरकार, अल्पसंख्यक कार्यों का मंत्रालय
अंतिम सुधारित : 2/22/2020
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