राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना (एनईजीपी) का अनुमोदन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीकी विभाग (डीईआईटीवाई), संचार एवं सूचना तकनीक मंत्रालय के सहयोग से मई 2006 में किया गया। इस योजना के तहत स्थानीय इलाके में आम सेवाएं प्रदान करने वाली दुकानों पर सभी सरकारी सेवाएं आम आदमी को उचित मूल्य पर उपयुक्त, पारदर्शिता और भरोसेमंद तरीके से मूलभूत आवश्यकताओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया। वास्तव में, एनईजीपी में 27 मिशन प्रणाली परियोजना (एमएमपीएस) के साथ साथ आठ घटक भी शामिल है हालांकि 2011 में स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और डाक को इसमें शामिल करके एमएमपीएस की संख्या 27 से 31 तक बढ़ाने का तर्क दिया गया।
एनईजीपी में एमएमपी एक मात्र परियोजना है जो ई-प्रशासन के पहलू पर केंद्रित है जैसे कि बैंकिंग, भूमि संबंधी लेखा-जोखा और वाणिज्य कर आदि। एनईजीपी में मिशन प्रणाली के तहत परियोजना और समय-सीमा लागू करने के साथ-साथ इन परियोजनाओं की उपलब्धियां, जांच योग्य परिणाम और सेवा स्तर परियोजनाओं के उद्देश्य स्पष्ट निर्धारित किए गए हैं,
31 एमएमपीएस वाले एनईजीपी को राज्य, केंद्र और एकीकृत परियोजनाओं के रूप विज्ञापित किया गया है। प्रत्येक राज्य सरकार भी अपनी आवश्यकता अनुसार 5 विशेष एमएमपीएस परिभाषित कर सकती है।
तीन प्रकार की एमएमपीएस की सूची नीचे दी गई हैं
एनईजीपी के अंतर्गत केंद्रीय एमएमपीएस
एनईजीपी के अंतर्गत राज्यों के एमएमपीएस
एनईजीपी के अंतर्गत एकीकृत एमएमपीएस
एनईजीपी द्वारा नागरिकों और व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं और जानकारी उपलब्ध कराने की दिशा में कुछ सालों में ठोस प्रगति हुई है। उन्नत तकनीक, ग्रहण क्षमता और तेजी से हुई वृद्धि ने आज के वातावरण में बढ़ती सरकारी सेवाओं की मांग को पूरा करने में सहायता की है।
देश भर में 1000 से अधिक सेवाएं सुलभ हैं
आज देश भर में एनईजीपी के अंतर्गत 1000 से अधिक ई-प्रशासन सेवाएं लोगों के लिए सुलभ हैं एनईजीपी के अंतर्गत विभिन्न एमएमपीएस के तहत संबद्ध विभागों और साथ ही साथ राज्य सरकारों द्वारा मूलभूत ढ़ांचे में डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता का फायदा उठाने के लिए इन सेवाओं को शुरू किया गया। देश भर में जनवरी 2013 से 237 करोड़ से अधिक ई-लेन-देन किए गए।
एनईजीपी के अंतर्गत 31 मिशन प्रणाली परियोजना में 23 एमएमटीएस सीधे तौर पर काम कर रहे हैं और अपनी सेवाएं नागरिकों को दे रही हैं। आयकर विभाग की एमएमटी के तहत वित्त वर्ष 2013-14 जो कि 31 दिसंबर 2013 तक, 2.12 करोड़ रिटर्न कम्प्यूटर द्वारा भरी गई।
पासपोर्ट सेवा परियोजना के अंतर्गत कुल 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र कार्यशील हैं। लोगों की सुविधा के लिए संबंधित कार्यों की प्रक्रिया को पुन: उन्नत बनाया जा रहा है। नई योजना के अंतर्गत हर सप्ताह लगभग एक लाख पासपोर्ट बनाए जा रहे हैं।
सेवाओं के वितरण के लिए मोबाईल उपकरणों को काम लाया जा रहा है-
मोबार्इल तकनीक और इसकी संयोजकता के जबर्दस्त विस्तार का फायदा उठाने के लिए सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के लिए मोबाईल उपकरणों को काम लाया जा रहा है। अब ई-प्रशासन परियोजना के विस्तृत फैलाव के चलते इसके अंतर्गत आने वाली जनसेवाओं को भी मोबाईल से प्रदान करने के लिए मोबाईल फोन और टेबलेट को प्रयोग में लाया जा रहा है। डीईआईटीवाई की मोबाईल सेवा परियोजना के अंतर्गत एसएमएस और मोबाईल एप्लीकेशन आधारित सेवाओं को शुरू किया गया है।
वर्तमान में केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर देश भर में 864 सरकारी विभाग और एजेंसियां विस्तृत फैलाव वाली मोबाईल आधारित सेवाएं प्रदान कर रही है। मोबाईल सेवा की एसएमएस सुविधा का लाभ उठाते हुए 60.92 करोड़ एसएमएस आधारित लेन-देन वाली सेवाएं नागरिकों को प्रदान की गई। 166 और 51969 के लघु कोड तथा 9223166166 बड़े कोड पर पुल एसएमएस आधारित 272 सेवाएं उपलब्ध है। अब तक 16.43 लाख पुल एसएमएस आधारित लेन-देन सेवाएं मुहैया कराई जा चुकी है। इस मोबाईल सेवा का विस्तार करते हुए 243 मोबाईल एप्लीकेशन सीधे तौर पर कार्य करने के लिए तैयार की गई हैं और ये सेवाएं मोबाईल एपस्टोर में उपलब्ध है।
1.28 लाख से ज्यादा सामान्य सेवा केंद्र खोले गए हैं
ई-प्रशासन को लागू करने के लिए विभिन्न नीतिगत पहल और परियोजनाएं
1. प्रमुख बुनियादी ढ़ांचा
2. सहायक बुनियादी ढ़ांचा
प्रमुख बुनियादी ढ़ांचे के बड़े घटक हैं:-
और मध्यक्रम की सेवाएं जैसे कि राष्ट्रीय ई-प्रशासन सेवा वितरण मार्ग (एनएसडीजी), राज्य ई-प्रशासन सेवा वितरण मार्ग (एसएसडीजी), और मोबाईल ई-प्रशासन सेवा वितरण मार्ग (एमएसडीजी)।
महत्वपूर्ण सहायक बुनियादी ढ़ांचे के घटकों में सुरक्षा संबंधी प्रमुख नीतियां और दिशा-निर्देश, मानव संसाधन, नागरिक नियम, सोशल मीडिया के साथ-साथ मेटा डाटा, पारस्परिकता उद्यमी सरंचना, सुरक्षा सूचना आदि शामिल है। इस नई पहल में संरचना का प्रमाणीकरण यानी ई-प्रमाणन और ई-सरकारी योजनाओं के कम्प्यूटरीकरण के लाभ को सुनिश्चित करने के लिए जी-1 समूह शामिल है जिसके द्वारा ई-प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, टेलीमेडीसिन, मनोरंजन के साथ निजी क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता और कम लागत वाले वीडियो, ओडियो, आंकड़े तथा सेवाएं दी जाती है।
सामान्य सेवा केंद्र (सीएससीएस) एनईजीपी की रणनीतिक आधारशिला है। सीएससीएस की खास बात यह है कि इस सेवा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में ई प्रशासनिक सेवाओं का लाभ इंटरनेट के माध्यम से उठाने की सुविधा प्रदान की जाती है। जिसमें आवेदन पत्र, प्रमाण पत्र और अन्य जन-उपयोगी सेवाएं जैसे कि बिजली, पानी और टेलीफोन जैसी सेवाओं के बिलों का भुगतान शामिल है। जी-2 सी सेवाओं का विस्तार करते हुए विषय सूची में जिन विस्तृत सेवाओं के विभिन्न प्रकारों पर सीएससी के दिशा-निर्देशों पर गौर किया गया है। उनकी सूची इस प्रकार हैं:-
यह योजना निजी क्षेत्र और गैर-सरकारी संस्थाओ (एनजीओ) के लिए ऐसे सहायक वातावरण का निर्माण करती है जिसमें सीएससी योजना के क्रियान्वयन के लिए सक्रिय भूमिका निभाते हुए निजी और गैर-सरकारी संस्थायें ग्रामीण भारत के विकास में सरकार की भागीदार बने। सीएससी योजना के पीपीपी मॉडल में त्रि-स्तीय ढांचे पर विचार किया गया है:-
1. सीएससी संचालक (जिसे ग्रामीण स्तरीय उद्यमी या वीएलई कहा जाता है)
2. सेवा केंद्र एजेंसी (एससीए) 500-1000 सीएससी के संचालन के लिए जिम्मेदार होगी।
3. राज्य सरकार द्वारा चिन्हित राज्य प्राधिकृत एजेंसी (एसडीए) सारे राज्य में प्रबंधन क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगी।
वर्तमान में, देश भर में 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 1,28,315 से अधिक सीएससी कार्य कर रहे हैं। सीएससी गांव में बेहतर और पारदर्शी तरीके से बड़े पैमाने पर सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
ऑनलाइन सेवाओं के लिए विश्व के सबसे बड़े आईसीटी नेटवर्क को सरकार ने मंजूरी दी है।
देश भर में लोगों ने विभिन्न ई-प्रशासनिक योजनाओं के अंतर्गत वर्ष 2013 में देश भर में 227 करोड़ से अधिक लेन-देन सेवाओं का लाभ उठाया। उम्मीद की जाती है कि मार्च 2014 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 250 करोड़ हो जाएगी। वित्त वर्ष 2012-13 में ग्रामीण स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) वाले 75,000 से अधिक गांवों के एक करोड़ के आस-पास लोगों को प्रत्येक माह सीएससी सेवाएं प्रदान की गईं।
सीएससी में सपन्न लगभग 65 प्रतिशत लेन-देन संबंधी सेवाएं जी-2सी सेवाएं हैं, सीएससी 40 प्रतिशत के आस-पास वित्तीय सेवाएं प्रदान की गई हैं शिक्षा सेवाओं का लेन-देन सीएससी सेवाओं के अंतर्गत 30 प्रतिशत रहा है। ऑनलाइन सेवाओं के लिए बना यह विश्व का सबसे बड़ा सरकारी मान्यता प्राप्त आईसीटी नेटवर्क है।
इतने कम समय में एनईजीपी की सफलता वास्तव में सराहनीय है। इससे पता चलता है कि ई-प्रशासनिक सेवाओं में सुधार करने से महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।
लोगों की जिंदगी की आवश्यकताओं की समझ को संयोजित करते हुए गुणवत्ता, तेजी, कुशलता के साथ ई-प्रशासनिक सेवा के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को लाभ पहुंचाने के लिए एनईजीपी प्रयासरत हैं।
स्त्रोत: के. के. पंत, लेखक पत्र सूचना निदेशालय में उपनिदेश,पत्र सूचना कार्यालय (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीकी विभाग (डीईआईटीवाई) से प्राप्त जानकारी के आधार पर)
अंतिम सुधारित : 2/21/2020
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