मछली विश्वमभर में सर्वाधिक व्यापारित खाद्य वस्तुओं के रूप में जानी जाती है। 2012 में, लगभग 200 देशों ने मत्स्य एवं मत्स्य उत्पादों का निर्यात दर्ज किया है। वैश्विक जलीय-कृषि उत्पादन ने वर्ष 2014 में 74.3 मिलियन टन के सर्वाधिक उच्च स्तर को प्राप्त किया था। विश्व में खाद्य-मछली का जलकृषि के द्वारा उत्पादन वर्ष 2000 से 2012 के दौरान 6.2 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से विस्तार हुआ है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) महासागरों और आर्द्रभूमियों का धारणीय, एकीकृत एवं सामाजिक-आर्थिक केन्द्रित प्रबंधन द्वारा कैप्चर मात्स्यिकी, जलीय-कृषि, पारिस्थितिक सेवायें, व्यापार एवं तटीय समुदायों की सामाजिक सुरक्षा पर आधारित 'नीली वृद्धि को प्रोत्साहित कर रहा है। नीली वृद्धि के अंतर्गत उत्तरदायी और धारणीय मात्स्यिकी एवं जलीय-कृषि मे सभी हितधारकों को शामिल करते हुए, एकीकृत दृष्टिकोण के द्वारा प्रोत्सायहित सम्मिलित है।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू टीओ) समझौते के तहत व्यापार उदारीकरण का पालन करते हुए, देशों के बीच सजीव एवं निर्जीव वस्तु ओं का आवागमन बढ़ना स्वाभाविक है। आर्थिक हितों के कारण, यह अपेक्षित है कि विश्वसभर में जीवित पशुओं के आवागमन से मूल प्रजातियों के परिवेश पर प्रतिकूल प्रभाव की आशंका बढ़ती है। उत्त्तरदायी मात्स्यिकी आचार संहिता (सीसीआरएफ अथवा कोड) मात्स्यिकी एवं जलीय-कृषि के सतत दोहन एवं प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। विदेशी जलीय-प्रजातियों के आने से देशी जर्मप्लास्म पर संभाव्य खतरे के साथ आनुवांशिक संदूषण, रोग की शुरूआत और पर्यावरणीय–क्रिया के संबंध में जोखिम को और बढ़ायेगा। जन्तुओं एवं जन्तु उत्पादों का आवागमन, पशुआ की देशी प्रजातियों की तीव्र हानि समेत नये क्षेत्रों में विदेशी रोगों के प्रारम्भ का कारण माना जाता है। अतः इस संबंध में, यह पूर्णरूप से आवश्यक है कि संभाव्य हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए, भारत में विदेशी मछली के प्रवेश संबंधी दिशानिर्देश बनाये जायें।
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग (डीएडीएफ), कृषि एवं किसान कल्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने, आवशयक परामर्शी प्रक्रिया से गुजरने के पश्चात निजी उद्यमियों/उद्यमों द्वारा पालन के उद्देश्य के लिए सीबास फिंगरलिंगों के आयात के लिए इन दिशानिर्देशों का निर्माण किया है। ये दिशानिर्देश संबद्ध जैविकीय, तकनीकी, आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और वाणिज्यिक पहलुओं पर विचार करने के साथ ही उत्तदरदायी मात्स्यिकी सुनिश्चित करते हैं।
आकस्मिक निकास अर्थात् आयातक/ किसान/पालन द्वारा अंजाने में प्राकृतिक जल-निकाय में जलीय जीवों का निकास ।
जलीय जन्तु अर्थात् जलीय कृषि-स्थापनाओं से उत्पन्नम मछली, मोलस्कजस, क्रस्टेतशियन के सभी जीवन चक्र (अण्डों और गेमेट्स समेत) अथवा पालन उद्देश्योंन के लिए, जलीय पर्यावरण में छोड़ने के लिए अथवा मानव उपयोग के लिए प्रकृति से प्राप्त जलीय जन्तु/प्राणि ।
जैव खतरा अर्थात् एक जीव, अथवा एक जीव से उत्पन्न पदार्थ, जोकि (मुख्यतः) प्राणि/मानव-स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता हो। इसमें मेडिकल अपशिष्टक अथवा सूक्ष्मवजीवों के नमूने, वायरस और जहर (जैविकीय स्रोत से) को शामिल कर सकते हैं, जो प्राणि/मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
जैव सुरक्षा अर्थात् सामान्यतः संदर्भो में, मानव, प्राणि (जलीय समेत) और पादप जीवन और स्वास्थ्य तथा पर्यावरण से संबंधित जोखिमों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन के लिए एक रणनीतिक एवं एकीकृत दृष्टिकोण।
प्रमाणीकरण अधिकारी अर्थात् जलीय प्राणियों के लिए स्वास्थ्य प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति।
सक्षम प्राधिकारी अर्थात् पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया प्राधिकरण जो जलीय-जन्तु-स्वास्थ्य के लिए उत्तरदायी होगा। इन दिशानिर्देशों के प्रयोजन के लिए, भारतीय-जल में विदेशी जलीय प्रजातियों के प्रवेश पर संयुक्त सचिव (मात्स्यिकी) की अध्यक्षता में गठित, राष्ट्रीय समिति की सिफारिशों पर पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के सचिव प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान करेंगे।
प्रेषित माल (अथवा शिपमेंट) अर्थात् जलीय प्राणि-आयात–स्वास्थ्य मानक के अनुसार परिभाषित जीवित जलीय प्राणियों का समूह, एक अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, स्वास्थ्य-प्रमाणपत्र और/अथवा आयात अथवा निर्यात परमिट।
निर्यातक देश अर्थात् ऐसा देश जहां से जलीय जंतुओं अथवा जलीय जन्तु-उत्पादों, जैविकीय उत्पादों अथवा रोगात्माक पदार्थों को दूसरे देश में गंतव्य स्थान पर भेजा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय जलीय जन्तु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र अर्थात् निर्यातक देश के सक्षम प्राधिकारी के सदस्य द्वारा जारी प्रमाणपत्र, जो जलीय जंतुओं के स्वास्थ्य की अवस्था को प्रमाणित करता हो, और एक घोषणा पत्र कि जलीय जन्तु ओआईई जलीय मैन्युअल में परिभाषित प्रक्रिया के अनुसार सरकारी स्वास्थ्य निगरानी के अधीन स्रोत से उत्पन्न ।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अर्थात् निर्यात अथवा जलीय जंतुओं का पारगमन, जलीय जन्तु उत्पाद, जैविकीय उत्पाद और रोगात्मक उत्पाद।
आयात लाईसेंस अर्थात् जलीय जीव आयात करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी अपेक्षित लाईसेंस।
आयातक अर्थात् देश के बाहर से जलीय जीव/एक्वेरियम सामानों को आयात करने वाला व्यक्ति/कंपनी ।
आक्रामक प्रजातियां अर्थात् गैर-देशी प्रजातियां (अर्थात् पादप अथवा जन्तु) जो निवास स्थानों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं जहां वे आर्थिक, पर्यावरणीय अथवा पारिस्थितकीय रूप से हमला करती हैं।
ओआईई-अधिसूचित रोग अर्थात् रोग जो जलीय आचार संहिता के अध्याय 1.2.3 में संदर्भित हैं। (समानार्थीः ओआईई द्वारा अधिसूचित रोग)
पूर्व-संगरोध प्रमाणपत्र अर्थात् कंसाइनमेंट के जलीय जन्तुओं के स्वास्थ्य अवस्था को प्रमाणित करता निर्यातक देश के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र।
संगरोध अर्थात् किसी एक जलीय जन्तु समूहों का अन्य जलीय जंतुओं से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क को रोक कर, एकांत में रख-रखाव, तथा निर्दिष्ट समय सीमा तक निरीक्षण करने के उपरांत और यदि उपयुक्त हो तो, बहि: प्रवाही धारा जल में उपयुक्त उपचार समेत परीक्षण और उपचार।
संगरोध अधिकारी अर्थात संबंधित सक्षम प्राधिकारी के द्वारा अधिकृत तकनीकी रूप से सक्षम व्यक्ति जो सक्षम प्राधिकारी के द्वारा घोषित जीवित जलीय-जंतु के आयात और निर्यात की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप निरीक्षण और प्रमाणीकरण का कार्य करे।
संगरोध अवधि अर्थात् संगरोध की न्यूनतम अवधि, विशेष रूप से जलीय जन्तु आयात स्वास्थ्य मानक अथवा अन्य कानूनी बाध्यता दस्तावेज में निर्दिष्ट (अर्थात् राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय विनियमन)
जोखिम मूल्यांयकन अर्थात् खतरा चिन्हिकरण, जोखिम मूल्यांकन, जोखिम प्रबंधन और जोखिम के सम्प्रेषण की पूर्ण प्रक्रिया
शिपमेंट अर्थात् जलीय जन्तुओं अथवा उत्पादों का समूह उसके गंतव्य पर परिवहन के लिए।
निगरानी अर्थात् जलीय जन्तुओं की जनसंख्या/समूह की जांच-पड़ताल हेतु, रोग की घटनाओं का पता लगाने हेतु एवं नियंत्रण करने के उद्देश्य का एक सुव्यवस्थित क्रम, जिसमे समूह के नमूनों के परीक्षण भी शामिल हैं।
अति संवेदनशील प्रजातियां अर्थात् जलीय जन्तुओं की प्रजातियां जिनमें प्राकृतिक कारणों अथवा रोग–धारी ऐजेंट के प्रयोगात्मक एक्सपोजर के द्वारा जो संक्रमण के लिए प्राकृतिक पथ की नकल करता है, उस से संक्रमण के रोग दर्शाये गए हों। जलीय मैन्युअल के प्रत्येक रोग अध्याय में वर्तमान मे ज्ञान अति संवेदनशील प्रजातियों की सूची दी गयी है।
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग (डीएडीएफ), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की पूर्व अनुमति के बिना एशियन सीबास के आयात की अनुमति नहीं होगी।
4.1. एशियन सीबास का आयात करने के इच्छुक उद्यमी अनुबंध में दिये गये निर्धारित प्रारूप में आवेदन करेंगे।
4.2. आयात की अनुमति डीएडीएफ में सक्षम प्राधिकारी द्वारा भारतीय जल में विदेशी जलीय प्रजातियों के प्रवेश पर राष्ट्रीय–समिति की सिफारिशों पर विचार करने और प्रस्ताव का मूल्यांकन करने के पश्चात् जारी की जायेगी। अनुमोदित मामलों में अनुमति को पूर्ण प्रस्ताव की प्राप्ति की दिनांक से छः सप्ताह के अंदर आवेदक को बता दी जायेगी।
प्रदत्त अनुमति होगी :-
4.3. जारीकर्ता प्राधिकारी, अनुमति–पत्र के एक बार, तीन महीने की अवधि तक का पुनः वैधीकरण करने पर विचार कर सकेंगे, जिस हेतु शर्त यह है कि अनुमतिपत्र की वैद्यता समाप्ति से पूर्व ही पर्याप्तर स्पष्टीकरण के साथ वैधता के विस्तार का अनुरोध किया गया हो।
मछली के आयात की अनुमति केवल निर्दिष्ट अथवा नामित बंदरगाहों / हवाई अड्डों के माध्यम से ही होगी।
6.1. पैकेजिंग, पोर्ट की प्रविष्टि पर संगरोध अधिकारी द्वारा कंसाइनमेंट के सरल निरीक्षण को सुगम बनायेगी।
6.2. आयातित मछली को आवश्यक रूप से लीक–पूफ बैग में पैक किया जायेगा, प्रत्येक बैग में केवल एक आयु समूह होगा और नीचे दर्शाई गई मानक स्टॉकिंग धनत्व से अधिक नहीं होगा :
मानक सटॉकिंग घनत्व |
||
|
बीज का आकार (से.मी.)
|
पैकिंग घनत्व (संख्या/ली.जल)
|
अर्ली फ्राई |
0.8-1.8
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75-100
|
फ्राई |
2.5
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30
|
फिंगरलिंग
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5.0
|
5 |
6.3. मछली के उपयुक्त निरीक्षण और चिन्हिकरण के लिए बैग आवश्यक रूप से पारदर्शी होगा और कोई भी विषयेतर पदार्थ, अस्वीकृत पादप पदार्थ, हानिकारक जीव अथवा गैर अधिकृत प्रजातियां नहीं होंगी। 6.4. फिंगरलिंग के आयात के दौरान किसी जीवित आहार की अनुमति नहीं होगी।
6.5. प्रत्येक बैग पॉलीस्टाइरिन बॉक्स अथवा कार्टन में प्लास्टिक की आंतरिक लाइनिंग से कसा हुआ रखा होगा। प्रत्येक बॉक्स अथवा कार्टन पर स्पष्ट रूप से मछली की संख्या और आयु का उल्लेखा करता लेबल और प्रत्येक बॉक्स/कार्टन की प्रमाणीकरण संख्या होगी। यदि किसी मामले में, परिवहन के दौरान शामक/एनेस्थेशिया प्रयोग किया गया है, तो इसका पैकेजिंग सूची में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए। 6.6. कंसाइनमेंट उपयुक्त दस्तावेजों समेत केस हिस्ट्री, आयात परमिट, मछली का डीएनए बारकोड, मूल देश की सरकारी अनुमोदित प्रयोगशाला अथवा ओआईई द्वारा अनुमोदित अनुबंध-|| में अधिसूचित रोग नाशकों की अनुपस्थिति को दर्शाता स्वास्थ्य प्रमाणपत्र तथा निर्यातक देश के परिवहन प्राधिकारी द्वारा जारी अन्य प्रमाणपत्रों के साथ होगा।
6.7. आयातक आवश्यक रूप से कंसाइनमेंट का जल्द से जल्द क्लीयरेंस प्राप्त करने, और इसके गंतव्य तक परिवहन के लिए सभी तर्कसंगत प्रयास करेगा।
6.8. ट्रांसशिपमेंट- ट्रांस-शिपमेंट के मामले में, कंसाइनमेंट को टांस-शिपमेंट बिन्दु के जीवाणुहीन क्षेत्र में रखा जायेगा।
7.1. देश में आयातित सीबास फिंगरलिंग का प्रत्येक बैच सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित आयात स्थान पर संगरोध सुविधा में संगरोध प्रक्रिया के अधीन होगा।
7.2. आयातित मछली डीएडीएफ द्वारा जारी आयात अनुमति और डीजीएफटी द्वारा जारी लाईसेंस के साथ निर्यातक देश के सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी पूर्व-संगरोध प्रमाणपत्र के साथ यह दर्शाती होगी कि जिस फार्म से कंसाइनमेंट निर्यात किया जा रहा है, वह फार्म और निर्यातक देश तथा मछली का डीएनए बारकोड की ओआईई और एनएसीए अधि सूिचित मछली रोगों (अनुबंध-II) की अवस्था को दर्शाता, अपने देश की राष्ट्रीय जलीय पशु स्वास्थ्य निगरानी अथवा पूर्व संगरोध प्रमाणपत्र के तहत कवर है।
7.3. कंसाइनमेंट के आगमन पर, पूर्व–संगरोध प्रमाणपत्र सत्यापित किया जायेगा और मछली का डीएनए बारकोड जांचने के बाद अधिसूचित प्राधिकारी द्वारा संगरोध प्रमाणपत्र को जारी किया जायेगा।
7.4. पोर्ट पर आगमन एवं क्लीयरेंस के बाद, कंसाइनमेंट को तुरन्त स्वीअकृत-संगरोध–सुविधा केंद्र पर हस्तांतरित किया जायेगा।
7.5. संगरोध सुविधा पर कंसाइनमेंट की प्राप्ति पर, आयातित स्टॉक निर्धारित संगरोध प्रोटोकाल के अधीन होगा।
7.6. आयातित मछली का स्वीकृत संगरोध सुविधा पर 21 दिनों के लिए संगरोध किया जायेगा।
7.7. संगरोध अवधि के दौरान, यह जानने के लिए कि क्या वे रोग मुक्त हैं, जंतुओं का ओआईई और एनएसीए अधिसूचित रोग नाशकों (अनुबंध-||) के लिए जांच की जायेगी। यदि स्टॉक में कोई विदेशी रोगाणु पाये जाते हैं तो स्टॉक को जलाकर नष्ट कर दिया जायेगा और जल को उचित रूप से विसंक्रमित किया जायेगा। जांच और परीक्षण की लागत आयातक द्वारा वहन की जायेगी।
7.8. संगरोध संतोषपूर्वक पूर्ण होने के पश्चात, कंसाइनमेंट को संगरोध अधिकारी द्वारा जारी संगरोध प्रमाणपत्र के साथ आयातक को जारी कर दिया जायेगा।
7.9. आयातित फिंगरलिंग की घरेलू अथवा अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए प्रत्यक्ष बिक्री की अनुमति नहीं होगी।
7.10. सीबास की आयातित फिंगरलिंग का पालन उद्देश्य के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित आयातक केवल अपने फार्म में ही उपयोग कर सकेगा।
8.1. आयातक दृढ़तापूर्वक पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों और जैव सुरक्षा आवश्यकताओं, जैव खतरों का बहिष्कार और शमन तथा देश के आर्थिक हितों का पालन करेगा। आयातक यह सुनिश्चित करेगा कि आयातित मछली प्राकृतिक जल में नहीं छोड़ी जायेगी।
8.2. आयातक किसी आकस्मिक पलायन को रोकने के लिए पर्याप्त देखभाल करेगा। इसके बावजूद, प्राकृतिक जल में आयातित मछली के आकस्मिक पलायन के क्रम मे, मामले को तुरन्त सक्षम प्राधिकारी और निकटस्थ संगरोध अधिकारी को सूचित किया जायेगा।
8.3. यदि किसी मामले में, कंसाइनमेंट संगरोध में सफल नहीं होता है तो सम्पूर्ण कंसाइनमेंट को निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार आयातक की लागत पर नष्ट कर दिया जायेगा।
8.4. यदि निरीक्षण के दौरान, सक्षम प्राधिकारी के संज्ञान में यह आता है कि आयातक ने जान बूझकर किसी महत्वपूर्ण सूचना को नहीं दर्शाया है, अथवा जान बूझकर गलत सूचना भरी है, अथवा वास्तव में आयातित कंसाइनमेंट समान नहीं है, अथवा आयातित स्टॉक में ऐसी प्रजातियां भी शामिल हैं जिसके लिए अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया, आयात परमिट को तत्काल रद्द कर दिया जायेगा और सभी आयातित स्टॉक को बिना किसी सूचना अथवा आयातक की अनुमति के बिना नष्ट कर दिया जायेगा।
सक्षम प्राधिकारी को आयातक की हैचरी, पालन सुविधा और फार्मों का विशिष्ट दिशानिर्देशों की पुष्टि के लिए संगरोधन के पश्चात् निरीक्षण करने का अधिकार होगा, कि आयातित मछलियों का उसी उद्देश्य के लिए उपयोग हो रहा है जिसके लिए वे आयातित की गई थीं, और बहुगुणन के परिमाण तथा आयातित मछली प्रजातियों के क्षैतिक फैलाव को देखने का अधिकार होगा। सक्षम अधिकारी जैसा और जब अपेक्षित हो, इस उत्तरदायित्व को किसी अधिसूचित एजेंसी / समिति को भी आवंटित कर सकता है। आयातक आयात के बाद परिवहन, पालन, प्रजनन और बिक्री/व्यापार इत्यादि के बारे में मासिक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। रिपोर्ट में पालन, रोगाणु जांच और रोग का विवरण शामिल होगा, यदि कोई हो तो।
10.1. सीबास के प्रजनन और पालन के इच्छुक मछली फार्मों और हैचरी को तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) के पास पंजीकृत करवाना आवश्यक होगा।
10.2. तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) की निरीक्षण टीम हैचरी और फार्म का दौरा करेगी और सीबास फिंगरलिंग के प्रजनन और पालन के लिए सुविधा की उपयुक्तता पर अपनी सिफारिशें देगी।
10.3. हैचरी और फार्मों को फेंसिंग, जलाशयों, पक्षियों को डराने, प्रत्येक तालाब के लिये पृथक कार्यान्वयन और प्रशिक्षित तकनीकी व्यक्ति समेत सम्पूर्ण जैव सुरक्षा करनी होगी।
10.4, हैचरी / फार्मों को अपने आकार के निरपेक्ष प्रवाह उपचार प्रणाली (ईटीएस) रखना होगा। चूंकि रोके हुए ठोस पदार्थों के साथ परिवेश का भार पालन के दौरान अधिक होता है, अतः प्रवाह उपचार प्रणाली (ईटीएस) पालन के दौरान अपशिष्टक जल के छोड़ने को नियंत्रित करने में सक्षम होगी। प्रवाह उपचार प्रणाली (ईटीएस) का आकार फार्म में सर्वाधिक बड़े तालाब से अधिक होना चाहिए। प्रवाह उपचार प्रणाली (ईटीएस) आकार के आधार पर पालन क्रमबद्ध होना चाहिए। अपशिष्ट जल की गुणवत्ता (तटीय जलकृषि प्राधिकरण नियम, 2005 के अंतर्गत जारी दिशानिर्देशों में निर्धारित मानकों के अनुरूप होगी।
10.5. रोग के प्रकोप के किसी मामले में, यदि सक्षम प्राधिकारी अथवा अधिसूचित एजेंसी द्वारा अनुमति दी जाये तो हैचरी / फार्म संकट-दोहन कर सकेगी। संकट-दोहन केवल जाल के जरिये किया जाएगा और जल को स्रोत–जल में छोड़ने से पहले क्लोरीनयुक्त किया जायेगा। तथापि, इसे सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने पर ही किया जायेगा। संबंधित फार्म, सक्षम प्राधिकारी के जरिये परीक्षण की लागत का भुगतान करते हुए रोग की जांच करवा सकेगा।
10.6. अपशिष्ट जल को सामान्य जल निकाय में छोड़ने से पूर्व न्यूनतम 2 दिनों की अवधि के लिए प्रवाह उपचार प्रणाली में रोकना होगा।
10.7. फार्म जो पालन की शून्य । जल विनियम प्रणाली का पालन करेंगे, उन्हे आयातित सीबास पालन प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
10.8. आयातित सीबास पालन के लिए अनुमोदित फार्मों को किसी अन्य फिन-फिश प्रजातियों को संग्रह करने की अनुमति नहीं होगी।
10.9. आयातित सीबास फिंगरलिंग, जांची और प्रमाणित, केवल मूल प्राधिकृत निर्यातक से प्राप्त की जायेगी।
10.10. स्टॉकिंग घनत्व, तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) द्वारा निर्धारित अनुज्ञेय स्तरों के अधिक नहीं होना चाहिए।
10.11. अपशिष्ट जल मानकों का दृढ़ पालन आवश्यक कार्य है और तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) द्वारा प्राधिकृत निरीक्षण टीम तटीय जलकृषि प्राधिकरण अधिनियम, 2005 के अधिनियम में निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार अपशिष्ट जल की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करेगी। 10.12. पालक आयातित सीबास पालन के विस्तृत रिकॉर्ड का रख-रखाव करेंगे और तटीय जलकृषि प्राधिकरण को तिमाही अनुपालन रिपोर्टों (अनुबंध-।।) के जरिये उपलब्ध करायेंगे।
आयातक द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करना
11.1. हैचरियां और फार्म जिन्हें सीबास पालन की अनुमति है, तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) को उत्पादित बीज की संख्या, फार्म जिसको बेचा गया, स्टॉक बीज की संख्या, स्रोत और उत्पादन स्तरों को दर्शाते हुए तिमाही निष्पादन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
11.2. प्रसंस्करण प्लांट ऐसे फार्मों से सीबास प्राप्त् करेंगे जिन्हें सीबास के पालन की अनुमति है और वे भी प्राप्त सीबास की मात्रा की फार्मवार डाटा की रिपोर्ट तटिय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) को भेजेंगे। 11.3. ये रिपोटें देश में सीबास पालन की सम्पूर्ण प्रक्रिया में पता लगाने योग्य प्रणाली को प्रारंभ करने में मदद करेंगी।
अनुबंध-I
एशियन सीबास मछली के आयात के लिए आवेदन का प्रारूप
1. देश का नाम जहां से मछली का आयात प्रस्तावित है:
2. स्रोत (प्रकृतिक/पालित) :
3. पैक जल की क्षारीयता :
4. आयात का विवरण :
5. आनुवांशिक प्रोफाइल
6. पूर्व के आयात का विवरण :
7.0 क्या आयातित मछली निर्यात/आंतरिक बाजार के लिए है?
8.0 मछली आयात करने वाली फर्म/व्यक्ति का नाम तथा पता :
9.0 हैचरी/फार्म का स्थान जहां आयातित मछली रखी जायेगी :
10.0 क्या वहां संगरोध सुविधा है अथवा नहीं :
आयातक के मोहर सहित हस्ताक्षर और दिनांक
अनिवार्यता प्रमाणपत्र :
प्रोफार्मा भरने के लिए दिशानिर्देश :
किसी कॉलम को खाली न छोड़ा जाये। यदि सूचना उपलब्ध नहीं है तो एन.ए. भरे और यदि सूचना/आइटम प्रासंगिक नहीं है तो एन.आर. लिखें।
अनुबंध ॥
सीबास से सम्बंधित ओआईई और एनएसीए द्वारा अधिसूचित रोग
अनुबंध – III
फार्मों से तिमाही अनुपालन रिपोर्ट
10. हार्वेस्ट के समय औसत आकार
11. पालन दिवस
12. किये गये क्रमानुसार हार्वेस्टिंग का विवरण (ईटीएस के आकार पर निर्भर)
13. दिनांक जिस पर निरीक्षण समिति ने दौरा किया और नमूनों का संग्रहण किया।
अनुबंध - IV
प्रयुक्त संक्षिप्त रूपों की सूची :
सीएए : तटीय जलकृषि प्राधिकरण
डीएडीएफ : पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग
डीजीएफटी : विदेशी व्यापार महानिदेशक
डीएनए : डीऑक्सीवरिबो न्यूक्लिक एसिड
ईटीएस : बहिः प्रवाही धारा उपचार प्रणाली
एफएओ : संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन
एनएसीए : एशिया-पैसिफिक में जलकृषि केन्द्रों को नेटवर्क
ओआईई : विश्व प्राणी स्वास्थ्य संगठन
स्त्रोत: पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
अंतिम सुधारित : 2/21/2020
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