निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 की धारा 2(न), (जिसे पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 1995 के रूप में भी जाना जाता है) ''विकलांग व्यक्ति कोष ऐसे व्यक्ति को'' रूप में परिभाषित करता है जो किसी चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा यथा प्रमाणित किसी विकलांगता से न्यूनतम 40 प्रतिशत पीड़ित है।
यह विकलांगता (क) दृष्टिबाधिता (ख) कम दृष्टि (ग) कुष्ठ रोग उपचारित (घ) श्रवण बाधिता (ङ) चलन विकलांगता (च) मानसिक रोग (छ) मानसिक मंदता (ज) स्वलीनता (ऑटिज्म) (झ) प्रमस्तिष्क अंगघात अथवा (ञ) छ),(ज) और (झ) में से दो या अधिक का संयोजन, हो सकता है। 'धारा 2(झ), विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995, सह पठित ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहु-विकलांगताग्रस्त व्यक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्याय अधिनियम, 1999 की धारा 2(ञ),
वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार, भारत में 2.68 करोड़ विकलांग व्यक्ति हैं (जो कि कुल जनसंख्या का 2.21 प्रतिशत है)। कुल विकलांग व्यक्तियों में से 1.50 करोड़ पुरुष हैं और 1.18 करोड़ स्त्रियां हैं। इनमें दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित, वाक बाधित, चलन बाधित, मानसिक रोगी, मानसिक मंदता, बहु विकलांगताओं तथा अन्य विकलांगताओं से ग्रस्त व्यक्ति शामिल हैं।
यह मानते हुए कि विकलांग व्यक्ति देश के लिए बहुमूल्य मानव संसाधन हैं और यदि उन्हें समान अवसर और प्रभावी पुनर्वास उपाय उपलब्ध हों तो उनमें से अधिकांश व्यक्ति बेहतर गुणवत्ता वाली जिंदगी जी सकते हैं, उनके लिए ऐसा वातावरण तैयार करने को ध्यान में रखते हुए, जो उन्हें समान अवसर, उनके अधिकारों का संरक्षण और समाज में उनकी पूरी भागीदारी प्रदान कर सके, विकलांग व्यक्तियों के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार और प्रकाशित की गई है।
भारतीय पुनर्वास परिषद को वर्ष 1992 में संसद के एक अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। परिषदपुनर्वास व्यावसायिकों और कार्मिकों के प्रशिक्षण का नियमन और इसको मॉनीटर करती है और पुनर्वास एवं विशेष शिक्षा में अनुसंधान को प्रोत्साहित करती है। भारतीय पुनर्वास परिषद केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर के पुनर्वास और अनुरक्षण के लिए प्रशिक्षण और व्यावसायिक उपकरण उपलब्ध कराती है।
विकलांग व्यक्तियों के लिए मुखय आयुक्त को विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारसंरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियमए 1995के अंतर्गतअपना कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए विकलांग व्यक्तियों के कल्याण तथा अधिकारों के संरक्षण हेतु बनाए गए कानूनों, नियमावली आदि को लागू न करने और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को मना करने से संबंधित शिकायतों को देखने के लिए एक सिविल कोर्ट की शक्तियां दी गयी हैं।
ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मंदता और बहुविकलांगताओं इत्यादि से ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999के अंतर्गत वर्ष 2000 में राष्ट्रीय न्यास की स्थापना की गई थी। यह स्वमंसेवी संगठनों, विकलांग व्यक्तियों की संस्थाओं और उनके अभिभावकों की संस्थाओं के एक तंत्र के माध्यम से कार्य करता है।इसके अंतर्गतदेश भर में 3 सदस्य स्थानीय स्तर समितियां स्थापित करने, जहां कहीं आवश्यक हो विकलांग व्यक्तियों हेतु कानूनी संरक्षक तैनात करने का प्रावधान है। राष्ट्रीय न्यास द्वारा 6 वर्ष की आयु तक प्रारंभिक हस्तक्षेप से लेकर गंभीर विकलांगता से ग्रस्त व्यस्कों हेतु आवासीय केन्द्रों के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों के समूह का संचालन किया जाता है।
राष्ट्रीय संस्थान और उनके क्षेत्रीय केंद्र
क्रं.सं. |
राष्ट्रीय संस्थान |
स्थापना का वर्ष |
क्षेत्रीय केन्द्र (आरसी/क्षेत्रीय संयुक्त क्षेत्रीय केन्द्र) यदि कोई है |
संयुक्त क्षेत्रीय केन्द्र,यदि राष्ट्रीय संस्थान के अंतर्गत कोई है। |
1 |
राष्ट्रीय दृष्टि बाधित संस्थान(एनआईवीएच) |
1979 |
एकक्षेत्रीय केन्द्र (चेन्नै) दो क्षेत्रीय खंड(कोलकाता एवं सिकंदराबाद) |
एकसुंदर नगर (हिमाचल प्रदेश) |
2 |
अली यावर जंगश्रवण बाधित राष्ट्रीय संस्थान(एवायजेएनआईएचएच), मुंबई |
1983 |
चार क्षेत्रीय केन्द्र (कोलकाता, नई दिल्ली, मुंबई एवं भुवनेश्वर |
दो (भोपाल एवं अहमदाबाद) |
3 |
राष्ट्रीय अस्थि विकलांग संस्थान(एनआईओएच)
|
1978 |
दो क्षेत्रीय केन्द्र (देहरादून ऐजवाल) |
एक (पटना) |
4 |
स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास, प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान (एसवीएनआईआर टीएआर), कटक |
1975 |
कोई नहीं |
एक गुवाहाटी |
5 |
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शारीरिक विकलांग संस्थान (पीडीयूआईपीएच) |
1960 |
एक (सिकंदराबाद) |
दो (लखनऊ एवं श्रीनगर) |
6 |
राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान (एनआईएमएच) |
1984 |
तीन क्षेत्रीय केन्द्र (दिल्ली, मुंबई और कोलकाता |
कोई नहीं |
7 |
राष्ट्रीय बहु विकलांगता सशक्तिकरण संस्थान |
2005 |
कोई नहीं |
एक (कोझीकोड़) |
राष्ट्रीय विकलांग-जन वित्तद एवं विकास निगम (एनएचएफडीसी) की स्थापना 24 जनवरी, 1997 को विकलांग व्यक्तियों के लाभ हेतु आर्थिक विकास संबंधी गतिविधियों और स्वरोजगार के संवर्धन की दृष्टि से की गई थी। यह विकलांग व्याक्तिंयों को ऋण प्रदान करता है ताकि वे व्यावसायिक/तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर व्यावसायिक पुनर्वास/स्वारोज़गार हेतु सक्षम हो सकें। यह विकलांगता से ग्रस्ते स्वारोज़गार प्राप्त व्यक्तियों की सहायता भी करता है ताकि वे अपने उत्पादों और वस्तुओं का विपणन कर सकें।
एलिमको विभाग के अंतर्गत एक गैर लाभ प्राप्त करने वाली 5.25 मिनी रत्न कंपनी है। यहबड़े पैमाने पर सबसे किफायती आईएसआई चिह्न वाले विभिन्न प्रकार के सहायता उपकरणों का निर्माण करती रही है। इसके अलावा एलिमको,सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को कवर करते हुए पूरे देश में आर्थापेडिक बाधिता, श्रवण बाधिता, दृष्टि बाधिता और बौधिक विकास की मांग को पूरा करने के लिए, विकलांग व्यक्तियों को सशक्त करने और उनका आत्म सम्मान वापस दिलाने के लिए, इन सहायता उपकरणों का वितरण करता रहा है।
अंतिम सुधारित : 3/15/2023
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