सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के सशक्तीकरण के लिए वर्ष 2014-15 से निम्नलिखित दो योजनाएं संचालित की जा रही हैं –
आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए योजनाओं का संक्षिप्त विवरण
यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसे राज्य सरकारों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किया जा रहा है। योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के मैट्रिक उपरांत अथवा माध्यमिक स्तर के उपरांत पढ़ने वाले छात्रों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है। इस योजना के अंतर्गत पात्र होने के लिए माता-पिता/अभिभावक की आय की अधिकमत सीमा प्रति वर्ष एक लाख रुपये है (यदि नियोजित है, तो स्व-आय सहित)।
हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए विभिन्न मैट्रिक उपरांत पाठ्यक्रमों की छात्रवृत्ति दर 750 रुपये प्रतिमाह और 260 रुपये प्रतिमाह के बीच है। जबकि स्थानीय छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की यह दर 160 रुपये प्रतिमाह से लेकर 350 रुपये प्रतिमाह है। इस छात्रवृत्ति में 900 रुपये प्रति वर्ष की दर से शिक्षा यात्रा भत्ता (वास्तविक व्यय के अनुरूप), 1000 रुपये प्रतिवर्ष (अधिकतम) शोध टंकण एवं मुद्रण शुल्क, दूरवर्ती पाठ्यक्रमों के लिए 900 रुपये प्रतिवर्ष पुस्तक भत्ता और दृष्टिहीन छात्रों के लिए सहायक भत्ता 90 रुपये से लेकर 175 रुपये प्रतिमाह तक शामिल है।
इस योजना का उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के मेधावी छात्रों को विदेशों में उच्च शिक्षा के प्राप्त करने के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध कराना और उनमें रोज़गार क्षमता का विकास करने के लिए ब्याज सब्सिडी प्रदान करना है।
इस योजना के अंतर्गत पात्रता के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की सालाना आय अधिकतम 3 लाख रुपये और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों की वार्षिक आय अधिकतम 1 लाख रुपये होनी चाहिए। योजना के तहत 50 फीसदी राशि छात्राओं के लिए निर्धारित की गई है।
यह जानकारी पत्र सूचना कार्यालय द्वारा केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर से राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब के रूप में दी।
अंतिम सुधारित : 3/8/2024
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